Raipur News: ईडी की छापेमारी से हड़कंप, चावल कारोबारी पर ग्रामीणों ने उठाए सवाल

Raipur News: रायपुर के मौदहापारा क्षेत्र में आज सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने चावल कारोबारी रफीक मेमन के घर पर छापा मारा। यह कार्रवाई जिले में चल रहे विवादित डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (DMF) घोटाले से संबंधित मानी जा रही है। रफीक मेमन के घर पर छापेमारी के साथ-साथ ईडी ने गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र में भी अपने अभियान को अंजाम दिया। इस दौरान ईडी की टीम ने इकबाल मेमन और उनके बेटे गुलाम मेमन के घरों पर भी छापा मारा।

गुलाम मेमन का नाम खासतौर पर इसलिए चर्चा में है क्योंकि उन्हें रायपुर के महापौर एजाज ढेबर और शराब घोटाले में जेल में बंद अनवर ढेबर का मौसेरा भाई बताया जा रहा है। ईडी की इस कार्रवाई ने न केवल प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में भी खलबली मच गई है।

ईडी की यह छापेमारी ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायतों पर आधारित है। बताया जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (DMF) का इस्तेमाल जिलों के खनिज संसाधनों से प्राप्त राजस्व को स्थानीय विकास कार्यों के लिए किया जाना था। हालांकि, ग्रामीणों की शिकायत है कि इन फंड्स का दुरुपयोग किया गया और इसका फायदा केवल कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने उठाया।

ग्रामीणों के अनुसार, DMF फंड में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं, जिनमें फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर फंड को निजी खातों में स्थानांतरित करना, विकास कार्यों के नाम पर धन की हेराफेरी करना, और ठेकेदारों के माध्यम से घोटाले को अंजाम देना शामिल है। इसी संदर्भ में ईडी ने यह जांच शुरू की और मौदहापारा तथा मैनपुर में छापेमारी की।

हालांकि, अब तक प्रवर्तन निदेशालय या किसी अन्य अधिकारी की ओर से इस छापेमारी के संबंध में कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। यह जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है और इसमें कई बड़े नामों के सामने आने की संभावना जताई जा रही है।

ईडी की इस कार्रवाई ने प्रदेश की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है। चूंकि इस छापेमारी में महापौर एजाज ढेबर और उनके मौसेरे भाई गुलाम मेमन का नाम सामने आया है, इसलिए इसे रायपुर की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। महापौर एजाज ढेबर का नाम पहले भी विवादों में रहा है, और यह मामला उनके खिलाफ दबाव को और बढ़ा सकता है।

DMF घोटाले की जांच अब एक व्यापक स्तर पर पहुंच चुकी है। ईडी का फोकस केवल DMF फंड की अनियमितताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े अन्य घोटालों और आर्थिक अपराधों पर भी है। शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर का नाम पहले से ही इन मामलों में चर्चा में रहा है। अब गुलाम मेमन का नाम आने से इन दोनों मामलों के बीच एक गहरा संबंध स्थापित होने की संभावना है।

DMF यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड की स्थापना खनिज संसाधनों से प्राप्त राजस्व को स्थानीय विकास कार्यों के लिए उपयोग करने के उद्देश्य से की गई थी। इस फंड का मुख्य उद्देश्य खनन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाना था। हालांकि, आरोप हैं कि इस फंड का दुरुपयोग करके इसे निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया।

घोटाले में शामिल आरोपियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने फर्जी परियोजनाओं और निर्माण कार्यों के नाम पर DMF फंड को हड़प लिया। इन गबन की गई राशियों का इस्तेमाल जमीनों की खरीद-फरोख्त, लग्जरी गाड़ियों की खरीद, और अन्य व्यक्तिगत संपत्तियों के निर्माण में किया गया।

ईडी की कार्रवाई को लेकर जनता में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक साजिश के रूप में देख रहे हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस जांच के जरिए उन्हें न्याय मिलेगा और उनके इलाके में विकास कार्यों में पारदर्शिता लाई जाएगी।

ईडी की मौजूदा छापेमारी ने प्रदेश में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। DMF घोटाले से जुड़े बड़े नामों के सामने आने की संभावना के साथ-साथ राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में यह मामला गर्मा गया है। अब देखना यह है कि जांच के अगले चरण में क्या खुलासे होते हैं और घोटाले में शामिल दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।

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