MP NEWS : पूर्व मुख्यमंत्री का RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर बयान

MP NEWS : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनका यह बयान काफी चर्चित रहा, क्योंकि उन्होंने मोहन भागवत के बयान को सकारात्मक रूप में देखा।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि मोहन भागवत हमेशा अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन इस बार उनका बयान हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में धार्मिक असहमति और सांप्रदायिक तनाव बढ़ते जा रहे हैं, और ऐसे में मोहन भागवत का यह प्रयास उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा सकता है।

दिग्विजय सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि हालांकि मोहन भागवत का बयान सकारात्मक दिशा में है, फिर भी उन्हें अपने संघ के कार्यकर्ताओं को इस तरह के बयान देने से बचने की सलाह देनी चाहिए। उनका कहना था कि इस प्रकार के बयान किसी खास समुदाय के बीच असहमति को बढ़ा सकते हैं और इससे विवाद पैदा हो सकता है। दिग्विजय सिंह ने यह सुझाव भी दिया कि मोहन भागवत को अपने संगठन में ऐसे विचारों का प्रसार न करने की सख्त सलाह देनी चाहिए, ताकि समाज में शांति और भाईचारे का वातावरण बना रहे।

इसके अलावा, दिग्विजय सिंह ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” (एक राष्ट्र, एक चुनाव) पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जा चुका है, लेकिन उन्हें यह लगता है कि यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाएगा। उनका मानना था कि एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार कई व्यावहारिक समस्याओं से जूझता है और इसे लागू करना इतना आसान नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यह प्रस्ताव लागू किया जाता है, तो इससे भारतीय लोकतंत्र की विविधता और जटिलताओं को नजरअंदाज किया जाएगा।

दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे पर अपनी आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र की जड़ें कमजोर कर सकता है, क्योंकि भारत एक बहुत ही विविध देश है और हर राज्य की अपनी विशेषताएँ, समस्याएँ और जरूरतें हैं। उनका मानना था कि केंद्र और राज्य स्तर पर चुनावों को एक साथ लाना राज्यों की स्वायत्तता को नुकसान पहुँचा सकता है और इसके परिणामस्वरूप केंद्र के प्रभाव में वृद्धि हो सकती है। इस विचार के खिलाफ उनका तर्क यह था कि यदि चुनावों को एक साथ कर दिया गया, तो छोटे दलों और क्षेत्रीय पार्टियों को सीमित प्रतिनिधित्व मिलेगा और बड़े दलों के प्रभाव में इजाफा होगा।

दिग्विजय सिंह का यह बयान भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है, जहां सत्ता और विपक्ष दोनों ही इस विषय पर सक्रिय रूप से अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। उनके विचारों ने इस मुद्दे पर नए दृष्टिकोण को उजागर किया है, और यह स्पष्ट किया है कि वे किसी भी प्रस्ताव का समर्थन करने से पहले उसके सभी पहलुओं पर गहराई से विचार करने के पक्षधर हैं। उन्होंने यह भी जोर दिया कि किसी भी निर्णय से पहले उसका प्रभाव समाज के हर वर्ग और समुदाय पर परखा जाना चाहिए।

इस प्रकार, दिग्विजय सिंह का यह बयान न केवल मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया था, बल्कि भारतीय राजनीति के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी सोच को भी दर्शाता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राजनीति में सच्ची प्रगति तब ही संभव है, जब सभी विचारों और दृष्टिकोणों का सम्मान किया जाए और किसी भी निर्णय को सभी वर्गों और समुदायों के हित में लागू किया जाए।

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