J&K NEWS: कश्मीर में चिल्लाई-कालान का आगाज, श्रीनगर में तापमान ने तोड़ा सीजन का रिकॉर्ड

J&K NEWS: कश्मीर में “चिलाई कलां” से एक दिन पहले, 20 दिसंबर 2024 को कश्मीर घाटी में ठंड का प्रकोप बढ़ गया। कश्मीर के अधिकांश इलाकों में तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे गिर गया था, जिससे पूरे क्षेत्र में सर्दी का माहौल था। श्रीनगर में इस मौसम की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई। मौसम विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी कि श्रीनगर में न्यूनतम तापमान -6.2°C दर्ज किया गया, जो पिछले दिन के -6°C से थोड़ा कम था। यह तापमान इस बात का संकेत था कि कश्मीर में सर्दी की सबसे कठिन और लंबी अवधि “चिलाई कलां” का आगमन करीब था।

“चिलाई कलां” कश्मीर की सर्दियों का सबसे कठिन और लंबा दौर होता है, जो 40 दिनों तक चलता है। यह अवधि 21 दिसंबर से शुरू होती है और 30 जनवरी तक रहती है। इस दौरान कश्मीर घाटी में बर्फबारी और ठंड के कारण जनजीवन प्रभावित होता है। कश्मीर के लोगों के लिए यह समय सबसे कठिन होता है, क्योंकि तापमान इतनी कम हो जाता है कि बर्फबारी की चादर हर जगह बिछ जाती है। सर्दी इतनी तीव्र होती है कि लोग अपने घरों में जलने वाली आग के पास समय बिताने को मजबूर हो जाते हैं।

इस दौरान अधिकतर इलाके बर्फ से ढक जाते हैं, और घाटी में सड़कें भी बर्फ से जाम हो जाती हैं। इससे यात्रा करना कठिन हो जाता है और स्थानीय निवासियों को बर्फ के बीच अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। खेतों में भी बर्फ की मोटी परत जम जाती है, जिससे कृषि कार्य रुक जाते हैं। “चिलाई कलां” के दौरान कश्मीर में बिजली की आपूर्ति भी प्रभावित होती है, क्योंकि बर्फ के कारण पेड़ गिरने और बिजली के तारों के टूटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

कश्मीर की सर्दियों में बर्फबारी का एक खास आकर्षण भी है। घाटी में हर साल भारी बर्फबारी होती है, जिससे कश्मीर का सुंदर प्राकृतिक दृश्य और भी आकर्षक हो जाता है। लेकिन इस बर्फबारी के साथ सर्दी की ठिठुरन भी इतनी बढ़ जाती है कि लोगों को अपने घरों में सुरक्षित रहने के लिए कई इंतजाम करने पड़ते हैं। कश्मीर के लोग इस समय खासतौर पर “हुक्काह” (तंबाकू के पाइप) और “काहवा” (कश्मीरी चाय) का सेवन करते हैं, ताकि ठंड से बचा जा सके।

श्रीनगर में दर्ज किए गए -6.2°C के तापमान ने यह साफ कर दिया कि कश्मीर में सर्दी ने पूरी तरह से अपनी पकड़ बना ली है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और भी सर्दी बढ़ने की संभावना जताई है, जिससे कश्मीर के लोग “चिलाई कलां” के दौरान और भी अधिक सर्दी का सामना करेंगे। इस समय, कश्मीरियों के लिए अपने परिवार के साथ घर के अंदर रहना और सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनना आवश्यक हो जाता है।

कश्मीर के लोग “चिलाई कलां” को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं, और इस दौरान उन्हें प्राकृतिक आपदाओं का भी सामना करना पड़ता है। हालांकि, कश्मीर का यह सर्दी का मौसम पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता है। बर्फबारी, ठंडी हवाएं और शांति से भरा वातावरण कश्मीर को एक आकर्षक पर्यटन स्थल बना देते हैं। इस समय कई पर्यटक कश्मीर में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें भी सर्दी से बचने के लिए उचित तैयारी करनी पड़ती है।

अंततः, कश्मीर में “चिलाई कलां” का समय एक प्राकृतिक चुनौती और एक खूबसूरत अनुभव दोनों ही होता है, और कश्मीर के लोग इसे बड़ी हिम्मत और संयम से झेलते हैं।

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