Janjgir Champa: आयुष मंत्रालय के नेतृत्व में भारत में प्रकृति परीक्षण कार्यक्रम का आयोजन

Janjgir Champa: 21 दिसंबर को, सांदीपनी विज्ञान संस्थान महाविद्यालय, राहोद में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसे आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को प्रकृति परीक्षण और आयुर्वेद के महत्व के बारे में जागरूक करना था। यह कार्यक्रम महाविद्यालय में बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ और इसमें विशेष अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जीवराखन देवांगन और विशिष्ट अतिथि कुमुद चंदेल, राधे श्याम साहू, ज्योति शोनि चंदराम साहू ने अपनी उपस्थिति से इस आयोजन को सम्मानित किया। इनके अलावा, डॉ. सुनंदा गोस्वामी (मेडिकल ऑफिसर, राहोद) और उनकी टीम भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुई। डॉ. गोस्वामी और उनकी टीम ने विद्यार्थियों को प्रकृति परीक्षण के महत्व और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने छात्रों को इसके लाभ और आवश्यकता के बारे में भी बताया।

कार्यक्रम के दौरान, डॉ. सुनंदा गोस्वामी ने विद्यार्थियों को यह समझाया कि आयुर्वेद न केवल एक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि यह हमारे जीवनशैली, खानपान और पर्यावरण से जुड़े अनेक पहलुओं को भी प्रभावित करता है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे प्रकृति परीक्षण और आयुर्वेद का पालन करते हुए अपनी सेहत का ख्याल रखें और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें।

इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया था, जिसमें सभी छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रेशन दर शत प्रतिशत रही, जो इस पहल की सफलता को दर्शाता है। यह प्रमाणित करता है कि महाविद्यालय के छात्र इस प्रकार की जागरूकता और स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों में गहरी रुचि रखते हैं।

कार्यक्रम के समापन पर, संस्था के संचालक श्री संतोष गुप्ता और प्राचार्य श्री एस के गुप्ता ने सभी उपस्थित अतिथियों और छात्रों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सनातन धर्म प्रतीक और आयुर्वेद की पुस्तिका भेंट करते हुए विद्यार्थियों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को अपनाना हमारी संस्कृति का हिस्सा है, और यह हमारे शरीर, मन और आत्मा को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

समाप्ति के समय, महाविद्यालय के संचालक और प्राचार्य ने सभी विद्यार्थियों को अपने जीवन में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने और पर्यावरण की रक्षा करने की बात कही। साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विद्यार्थियों को इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेकर न केवल ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, बल्कि इसे अपने जीवन में लागू भी करना चाहिए।

इस कार्यक्रम का आयोजन न केवल एक शैक्षिक पहल था, बल्कि यह प्रकृति और स्वास्थ्य के प्रति विद्यार्थियों में एक सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का एक उत्तम प्रयास था। ऐसे कार्यक्रम भविष्य में विद्यार्थियों को और भी अधिक लाभ पहुंचाएंगे और उन्हें आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों, और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगे।

इस प्रकार, महाविद्यालय में आयोजित इस “प्रकृति परीक्षण कार्यक्रम” ने विद्यार्थियों के बीच प्रकृति और स्वास्थ्य के प्रति नई जागरूकता का संचार किया और आयुर्वेद के महत्व को हर किसी के जीवन में स्थापित करने का प्रयास किया।

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