CG NEWS : प्रधानमंत्री आवास योजना, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया, भारत में आवास संकट को दूर करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को अपने घर का सपना पूरा करने का अवसर मिला है। लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में इस योजना को लेकर एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसने एक परिवार के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस परिवार के सदस्य पिछले एक साल से अपने ही निजी प्लॉट पर एक बिजली के खंभे के कारण आवास निर्माण में बाधा का सामना कर रहे हैं।
दुर्ग के मोहन नगर क्षेत्र की निवासी अष्टशिला वासनिक का सपना था कि वह अपने जमीन पर एक घर बनाए। उनकी जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए स्वीकृति मिल चुकी थी। लेकिन उनकी उम्मीदों पर उस समय पानी फिर गया, जब बिजली विभाग ने उनकी जमीन पर एक खंभा लगा दिया। अब इस खंभे को हटाए बिना उनके द्वारा आवास निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सकता। इस खंभे के कारण अष्टशिला और उनके परिवार की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि उन्हें न तो आवास निर्माण के लिए जगह मिल रही है, और न ही उनके पास इस समस्या को हल करने के लिए पर्याप्त साधन हैं।
अष्टशिला वासनिक, जो कि एक सरकारी स्कूल में प्यून के पद पर काम करती हैं, का मासिक वेतन केवल 2000 रुपए है। उनके पति कबाड़ी का काम करते हैं और परिवार की माली हालत बहुत ही कठिन है। किराए के मकान में दो बच्चों के साथ उनका परिवार किसी तरह गुजर बसर कर रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए स्वीकृति मिलने के बावजूद, बिजली विभाग का यह खंभा उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।
अष्टशिला ने इस खंभे को हटवाने के लिए पिछले एक साल से बिजली विभाग और कलेक्टर के कार्यालय के चक्कर काटे हैं। लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है। अब जब वह बिजली विभाग से खंभा हटाने की गुजारिश करती हैं, तो विभाग की ओर से यह बताया जा रहा है कि खंभा हटवाने के लिए उन्हें 6 लाख रुपए की राशि देनी होगी। इस राशि को लेकर अष्टशिला का कहना है कि अगर उनके पास इतनी बड़ी रकम होती, तो वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए पहले ही इतना बड़ा निवेश कर चुकी होती।
यहां यह सवाल उठता है कि यदि यह खंभा बिजली विभाग की गलती से उनके निजी प्लॉट पर लगा है, तो क्यों उन्हें इसे हटवाने के लिए इतना बड़ा खर्च उठाना पड़े? इस स्थिति में उन्हें न्याय मिलने की बजाय और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मामले पर बिजली विभाग के अधिकारी अधीक्षण अभियंता सिटी तरुण कुमार ठाकरे ने अपनी सफाई दी है। उनका कहना है कि महिला ने बिजली विभाग से खंभा हटाने के लिए आवेदन दिया था, और इसके लिए जरूरी दस्तावेज भी मांगे गए थे। लेकिन महिला द्वारा उन दस्तावेजों को नहीं प्रस्तुत किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि 6 लाख रुपए की मांग करने की बात उन्हें नहीं पता है, और इस मामले में किसी अधिकारी ने भी यह राशि मांगी हो, ऐसा उनका आरोप गलत हो सकता है।
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब एक गरीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ प्राप्त कर रहा है और उनके पास आवास निर्माण के लिए पैसे नहीं हैं, तो क्यों बिजली विभाग को अपनी गलती का समाधान करने के बजाय उनसे पैसे की मांग करनी चाहिए? सरकार की योजनाएं तब तक प्रभावी नहीं हो सकतीं, जब तक कि उनसे जुड़े सारे पक्षों की समस्याओं का सही तरीके से समाधान न किया जाए। इस समय अष्टशिला वासनिक और उनके परिवार को न्याय की जरूरत है, ताकि वे अपने घर के सपने को साकार कर सकें और उनके जीवन में कोई और बाधा उत्पन्न न हो।