Raipur News: राजधानी रायपुर में स्मार्ट सिटी और नगर निगम ने 2019 में राहगीरों और आम जनता के लिए 32 ई-टॉयलेट यूनिट्स का निर्माण किया था। इन ई-टॉयलेट्स का उद्देश्य शहर के विभिन्न स्थानों पर राहगीरों, महिलाओं और दिव्यांगों को बेहतर स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करना था। इसके तहत प्रत्येक ई-टॉयलेट यूनिट में ऑटोमेटिक गेट, स्टेनलेस स्टील बॉडी और सिग्नल इंडिकेशन जैसी सुविधाएं जोड़ी गई थीं। इस परियोजना में कुल 2.60 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, और इसे 6 प्रमुख स्थानों पर स्थापित किया गया था।
यह ई-टॉयलेट्स स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत बनाए गए थे, और इनका उद्देश्य था कि लोग सड़कों पर सफाई की कमी से न जूझें और खासकर महिलाओं और दिव्यांग व्यक्तियों को खुले में शौच जाने से मुक्ति मिले। इन यूनिट्स के निर्माण के बाद, 3 साल तक इनकी देखरेख की जिम्मेदारी निर्माण करने वाली कंपनी पर थी।
कंपनी ने इस दौरान मेंटेनेंस किया, लेकिन बाद में इसे नगर निगम के हवाले कर दिया गया। नगर निगम ने निर्माण के बाद इनकी देखरेख और संचालन के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई, जिसका नतीजा यह हुआ कि इन ई-टॉयलेट्स की स्थिति अब बेहद खराब हो गई है।
अब, ये ई-टॉयलेट्स लगभग सभी जगहों पर खराब हो चुके हैं। इनमें लगे सेंसर, गेट और पानी की पाइपलाइन चोरी हो गई हैं। कई जगह तो ये पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। कटोरा तालाब के पास का ई-टॉयलेट पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है, और अन्य स्थानों पर इनसे दुर्गंध और गंदगी का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति में आम जनता को इन ई-टॉयलेट्स से मिलने वाली सुविधाओं का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत किए गए इस निर्माण का उद्देश्य था शहर में स्वच्छता और आरामदायक शौचालय सुविधाएं प्रदान करना, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव और लापरवाही के कारण यह योजना पूरी तरह से विफल हो गई है। नगर निगम ने अब इन ई-टॉयलेट्स की मरम्मत और संचालन के लिए एक नया टेंडर जारी किया है और सुलभ शौचालय सोशल सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को 13 लाख 56 हजार रुपये का वर्क ऑर्डर दिया गया है। लेकिन सुधार कार्य शुरू होने में कुछ समय लगेगा।
यह स्थिति केवल नगर निगम की लापरवाही को ही नहीं, बल्कि स्मार्ट सिटी परियोजना की असफलता को भी उजागर करती है। स्मार्ट सिटी के नाम पर किए गए खर्चों और योजनाओं के बावजूद अगर इनकी देखरेख नहीं की जाती तो ये योजनाएं केवल जनता के पैसे की बर्बादी का कारण बनती हैं। ऐसे में शहरवासियों को उन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता जिनका वादा किया गया था। इस प्रकार, यह स्थिति दर्शाती है कि स्मार्ट सिटी के तहत किए गए कार्यों में समयबद्ध और उचित देखरेख की अत्यंत आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ जनता को मिल सके।