CG NEWS: सक्ती जिले के सक्ति जनपद पंचायत के अधिकतर ग्राम पंचायतें जिले के अंतिम छोर पर स्थित हैं, जिससे ग्रामीणों को जिला मुख्यालय और ब्लॉक मुख्यालय तक पहुँचने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासकर, बैंकिंग कार्यों के लिए यह दूरी बहुत तकलीफदेह होती है। आजकल केंद्र और राज्य सरकार की कई ऐसी योजनाएँ हैं, जो ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। लेकिन समस्याएँ तब उत्पन्न होती हैं, जब गाँवों में बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होतीं। पहले, ग्रामीणों को पेंशन, मनरेगा की राशि, महतारी वंदन और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसे लाभ प्राप्त करने के लिए गांव से दूर शहर तक जाना पड़ता था, जिससे उन्हें भारी परेशानी होती थी।
आज, जिला प्रशासन की दिशा-निर्देश के तहत बीसी सखी कार्यक्रम के माध्यम से सक्ति जनपद क्षेत्र के दूरदराज बसे गाँवों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ उनके घरों के पास ही मिल रहा है और उन्हें अब शहर जाने की आवश्यकता नहीं है। यह पहल ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो रही है।
छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बीसी सखी मॉडल की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य गांवों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस योजना के अंतर्गत जिले की सभी ग्राम पंचायतों में बैंक सखी (बैंक करस्पोंडेंस सखी) की नियुक्ति की गई है।
सक्ती जिले के सक्ती जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों में 22 बीसी सखी की नियुक्ति की गई है। इनमें से एक प्रमुख बीसी सखी हैं गुलची सिदार, जो ग्राम पंचायत अमलडीहा में कार्यरत हैं। गुलची सिदार गांव-गांव जाकर पेंशन और बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं, जिससे ग्रामीणों को बड़ी राहत मिल रही है।
सक्ती जनपद पंचायत के अंतिम छोर पर स्थित आदिवासी बहुल गांव अमलडीहा में आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं। यहां पक्की सड़कें होने के बावजूद भी आने-जाने के साधन सीमित हैं, जिससे ग्रामीणों को शहर जाकर बैंकिंग कार्य पूरा करने में दिक्कत होती थी। खासकर वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने के लिए उन्हें शहर जाना पड़ता था, लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण कई बार उन्हें वापस गांव लौटना पड़ता था, जिससे न केवल उनका समय बर्बाद होता था, बल्कि खर्च भी होता था।
लेकिन अब जिला प्रशासन द्वारा बीसी सखी के माध्यम से इन ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं उनके गांव में ही मिल रही हैं। इससे न केवल उनका समय बच रहा है, बल्कि बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता से उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है। यह पहल ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
जिला कलेक्टर अमृत विकास तोपनो ने बताया कि सक्ति जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में बीसी सखी की नियुक्ति की गई है। बीसी सखी न केवल पेंशन वितरण में मदद करेंगी, बल्कि मनरेगा, महतारी वंदन योजना, पेंशन, और बचत खातों से धन निकासी में भी सहायता प्रदान करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि बीसी सखी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बुजुर्गों, बेसहारों और दिव्यांगों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही हैं।
इस काम के लिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं की नियुक्ति की गई है। इससे न केवल समाज को लाभ होगा, बल्कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो रही है। स्व-सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं अपने कौशल और सामूहिक प्रयासों से काम करती हैं, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है। इसके परिणामस्वरूप न केवल व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि समग्र समुदाय की स्थिति में भी सुधार होता है। यह कदम महिलाओं को सशक्त बनाने और आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
यह कार्य किसी भी बेटी या बहु द्वारा किया जा सकता है। यह एक सेवा और सद्भावना से भरा हुआ कार्य है, जो न केवल लोगों को राहत प्रदान करता है, बल्कि इसके द्वारा वे अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार भी कर सकते हैं। साथ ही, सरकार से जुड़कर काम करने का यह एक अच्छा अवसर है, जिसमें मेहनत और लगन से काम करने वाली महिलाएं न केवल सेवा कर सकती हैं, बल्कि अपनी आजीविका भी चला सकती हैं। इस कार्य में महिलाओं को सशक्त बनाकर उन्हें समाज में योगदान देने का एक सुनहरा मौका मिलता है।