CG NEWS: भारत के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो देश की आर्थिक स्थिति और विकास की दिशा को दर्शाता है। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की नीतियों, विकास दर, रोजगार, कृषि, उद्योग, वित्तीय स्थिति, और अन्य आर्थिक क्षेत्रों का विश्लेषण किया जाता है। इसे पेश करने का उद्देश्य संसद और जनता को भारत की आर्थिक स्थिति पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना होता है।
निर्मला सीतारमण का यह अभिभाषण आमतौर पर सरकार की आगामी बजट नीतियों का खाका भी पेश करता है, जिसमें राजकोषीय नीति, कर नीति, और अन्य सामाजिक और आर्थिक योजनाओं का विवरण दिया जाता है। इसके माध्यम से सरकार की योजनाओं और रणनीतियों के बारे में सांसदों और जनता को जानकारी मिलती है, ताकि वे इन नीतियों पर विचार कर सकें और संसद में चर्चा कर सकें।
आर्थिक सर्वेक्षण आमतौर पर पिछले वित्तीय वर्ष की समीक्षा करता है और भविष्य में होने वाली संभावित चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालता है। यह सरकार के आर्थिक दृष्टिकोण और लक्ष्य को भी स्पष्ट करता है, जो बजट के निर्माण में सहायक होता है। इसके बाद वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाता है, जो आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लिखित आंकड़ों और संकेतकों के आधार पर तैयार किया जाता है।
आज से संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है, जो भारतीय लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से हुई। राष्ट्रपति ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने सरकार की उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं और राष्ट्रहित में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। उनके संबोधन में समग्र विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, समावेशी समाज की ओर बढ़ते कदम और आर्थिक वृद्धि जैसे मुद्दे प्रमुख थे।
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा और राज्यसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। यह सर्वेक्षण सरकार की आर्थिक नीतियों और उनके प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण करता है, जिसमें देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति, विकास दर, रोजगार, राजकोषीय घाटा और अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों की चर्चा की गई है। वित्त मंत्री ने इस दौरान आगामी बजट की दिशा और प्राथमिकताओं का भी उल्लेख किया, जो देश की आर्थिक स्थिरता और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यह सत्र आने वाले दिनों में संसद में कई चर्चाओं और बहसों का कारण बनेगा, क्योंकि बजट के बाद विभिन्न योजनाओं, कर नीतियों और विकासात्मक कदमों पर गहन विचार विमर्श किया जाएगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में स्थिति में उल्लेखनीय बदलाव आया है। यह टिप्पणी राष्ट्रपति मुर्मू ने उस संदर्भ में की जब वे सरकार के प्रयासों का जिक्र कर रही थीं जो जम्मू-कश्मीर और अन्य दूरदराज क्षेत्रों में सुधार की दिशा में किए गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाव की भावना को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि सरकार का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में एकता और समरसता को बढ़ावा देना है, और इसमें विशेष ध्यान पूर्वोत्तर राज्यों की ओर भी केंद्रित किया गया है।
राष्ट्रपति ने इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल की ओर इशारा किया, जब उन्होंने बताया कि अष्टलक्ष्मी महोत्सव का आयोजन पूरे देश में किया गया था। इस आयोजन का उद्देश्य था कि पूरे देश के लोग पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की समृद्ध संस्कृति और उनके विकास की क्षमता को समझ सकें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं के नेतृत्व में विकास के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी सरकार महिलाओं की शक्ति और नेतृत्व की दिशा में दृढ़ विश्वास रखती है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में 3 करोड़ ‘लखपति दीदी’ (महिलाएं जिनके पास संपत्ति हो) बनाई जाएं। यह महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि यह गर्व की बात है कि आज बड़ी संख्या में महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। वे लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, पुलिस बलों में कार्यरत हैं और देश के बड़े कॉर्पोरेट क्षेत्रों का नेतृत्व भी कर रही हैं। राष्ट्रपति ने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि हमारी बेटियाँ ओलंपिक जैसे वैश्विक मंच पर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर रही हैं।
इसके साथ ही, राष्ट्रपति ने यह भी ज़िक्र किया कि सरकार ने उत्तर-पूर्व भारत के आठ राज्यों की समृद्ध संभावनाओं को उजागर करने के लिए पहल की है, और इसके तहत पहला अष्टलक्ष्मी महोत्सव आयोजित किया गया। यह महोत्सव उत्तर-पूर्व क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर, कला, और पर्यटन की विशेषताओं को प्रदर्शित करने का एक प्रयास था, जिससे देश और दुनिया को इन राज्यों की अनदेखी संभावनाओं का लाभ देखने को मिलेगा।