CG NEWS: एक पूर्व नक्सली ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि माओवादी आदिवासियों की भलाई नहीं चाहते, बल्कि उन्हें सिर्फ अपने उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं। उसने बताया कि माओवादी संगठन आदिवासियों को सरकार के खिलाफ भड़काते हैं, लेकिन वास्तव में उनका मकसद उन्हें गुलाम बनाकर रखना होता है।
पूर्व नक्सली के मुताबिक, माओवादी नेता खुद ऐशो-आराम की जिंदगी जीते हैं, जबकि गरीब आदिवासियों को हिंसा के दलदल में धकेल दिया जाता है। संगठन में शामिल होने के बाद आदिवासियों के पास कोई आजादी नहीं रहती, वे न अपनी मर्जी से कुछ कर सकते हैं और न ही संगठन छोड़ सकते हैं। अगर कोई छोड़ने की कोशिश करता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाती है।
उसने यह भी बताया कि माओवादी विचारधारा सिर्फ हिंसा और आतंक को बढ़ावा देती है, जिससे आदिवासी समुदाय की प्रगति रुक जाती है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों को रोकने के लिए माओवादी सड़कें तोड़ते हैं, स्कूल जलाते हैं और ग्रामीणों को डराकर रखते हैं।
इस खुलासे के बाद यह साफ हो जाता है कि माओवादी संगठन सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं और आदिवासियों की असली भलाई के लिए नहीं।