CG NEWS: टिटिलागढ़ होली का त्योहार इस बार प्रगति शाखा द्वारा एक अनोखे और पर्यावरण-स्नेही अंदाज में मनाया गया। शाखा के सदस्यों ने इस अवसर पर गुलाल और रंगों के बजाय फूलों से होली खेली, जिससे न केवल वातावरण सुरक्षित रहा बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश भी दिया गया।
फूलों की होली का महत्व
प्रगति शाखा ने फूलों की होली मनाकर यह संदेश दिया कि त्योहारों को प्राकृतिक और सौम्य तरीके से भी मनाया जा सकता है। इस आयोजन का उद्देश्य जल संरक्षण, पर्यावरण बचाव, और स्वच्छता को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम की खासियत
- फूलों से अबीर-गुलाल की जगह रंगों की छटा बिखेरी गई।
- भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से माहौल भक्तिमय बना।
- सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए सभी वर्गों के लोग इसमें शामिल हुए।
- विशेष अतिथियों और वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान किया गया।
संस्था का संदेश
संस्था के प्रमुख सदस्यों ने कहा कि रासायनिक रंगों के कारण कई तरह की त्वचा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा, रंगों के उपयोग से पानी की भी भारी बर्बादी होती है। इसलिए, फूलों की होली एक बेहतर और प्राकृतिक विकल्प है।
निष्कर्ष
टिटिलागढ़ में प्रगति शाखा द्वारा आयोजित यह फूलों की होली एक अनूठी पहल रही, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों को भी सहेजा गया। यह आयोजन समाज में जागरूकता बढ़ाने और एक स्वस्थ और सुरक्षित होली मनाने की प्रेरणा देता है।