SARKARI YOJANA: आज के डिजिटल युग में गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों (Gig & Platform Workers) की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ये वे लोग होते हैं जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से अस्थायी या स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, जैसे कि उबर (Uber) ड्राइवर, स्विगी (Swiggy) डिलीवरी पार्टनर, फ्रीलांस ग्राफिक डिज़ाइनर, कंटेंट राइटर आदि। हालाँकि, इन श्रमिकों को पारंपरिक नौकरी करने वालों की तुलना में कम सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलते हैं। लेकिन कई देशों में अब इन श्रमिकों को भी सुरक्षा देने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को मिलने वाले सामाजिक सुरक्षा लाभ
स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance)
कई सरकारें और निजी कंपनियां गिग श्रमिकों के लिए विशेष स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ प्रदान कर रही हैं। इससे उन्हें चिकित्सा खर्चों में सहायता मिलती है और वे गंभीर बीमारियों या दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहते हैं। भारत में, कुछ कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती हैं, और सरकार भी उन्हें आयुष्मान भारत योजना जैसे कार्यक्रमों में शामिल करने पर विचार कर रही है।
बीमारी और दुर्घटना बीमा (Sickness & Accident Insurance)
गिग श्रमिकों को काम करते समय किसी दुर्घटना का शिकार होने पर कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती थी। लेकिन अब कुछ प्लेटफॉर्म्स और सरकारी योजनाओं के तहत उन्हें दुर्घटना बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे वे किसी आपात स्थिति में वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
पेंशन और रिटायरमेंट प्लान (Pension & Retirement Plan)
पारंपरिक कर्मचारियों को भविष्य में वित्तीय स्थिरता के लिए पेंशन मिलती है, लेकिन गिग वर्कर्स इससे वंचित रहते हैं। हालांकि, कई देशों में सरकारें अब गिग वर्कर्स के लिए पेंशन योजनाएं शुरू कर रही हैं, जहाँ वे स्वेच्छा से योगदान कर सकते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद धन प्राप्त कर सकते हैं।
मातृत्व और पारिवारिक लाभ (Maternity & Family Benefits)
महिला गिग श्रमिकों के लिए मातृत्व लाभ बहुत जरूरी है। कुछ देशों में गिग वर्कर्स को भी मातृत्व अवकाश, चाइल्ड केयर बेनिफिट्स और अन्य पारिवारिक लाभ देने की पहल की गई है।
आर्थिक सुरक्षा और न्यूनतम वेतन (Financial Security & Minimum Wage)
चूंकि गिग वर्कर्स की आय स्थिर नहीं होती, इसलिए कुछ देशों में न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि वे अत्यधिक शोषण का शिकार न हों और उन्हें अपनी मेहनत का उचित पारिश्रमिक मिले।
गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की चुनौतियाँ
असंगठित कार्यक्षेत्र – गिग इकोनॉमी में काम करने वाले लोग किसी एक कंपनी के स्थायी कर्मचारी नहीं होते, इसलिए उनके लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ लागू करना कठिन होता है।
नियमों की कमी – कई देशों में अभी तक गिग श्रमिकों के लिए उचित कानून नहीं बने हैं, जिससे वे सामाजिक सुरक्षा लाभों से वंचित रह जाते हैं।
कम जागरूकता – कई गिग वर्कर्स को यह जानकारी नहीं होती कि वे भी कुछ योजनाओं के तहत बीमा, पेंशन और अन्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
निश्चित आय का अभाव – चूंकि गिग वर्कर्स की आय स्थिर नहीं होती, वे नियमित रूप से बीमा या पेंशन योजनाओं में योगदान नहीं कर पाते।
निष्कर्ष
गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। सरकारों और निजी कंपनियों को मिलकर ऐसे समाधान तैयार करने होंगे जो इन श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा, पेंशन, न्यूनतम वेतन और अन्य लाभ प्रदान करें। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होगी, बल्कि गिग इकोनॉमी भी मजबूत होगी और अधिक लोग इससे जुड़ने के लिए प्रेरित होंगे।