CG Election: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियाँ अब तेजी से बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। इस बीच, खबरें हैं कि चुनाव के लिए 15 दिसंबर के बाद आचार संहिता लागू हो सकती है। आचार संहिता के लागू होने के साथ ही चुनाव प्रचार और अन्य संबंधित गतिविधियाँ प्रतिबंधित हो जाएँगी। राज्य में चुनाव की प्रक्रिया को लेकर प्रशासनिक तैयारियाँ पूरी करने की दिशा में काम किया जा रहा है।
प्रदेश के नगर निगम और नगर पालिकाओं में महापौर और अध्यक्षों का चुनाव अब सीधे जनता द्वारा किया जाएगा। इसके लिए शासन ने एक अध्यादेश तैयार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, अगली कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी जाएगी। यह कदम स्थानीय नेतृत्व को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
यह बताया गया है कि छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने अपनी सर्वे रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। शासन ने इस रिपोर्ट के आधार पर एक अध्यादेश तैयार कर लिया है। दोनों प्रस्तावों को एक साथ अगली कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद राजपत्र में इसका प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद, निकायों में महापौर, अध्यक्ष और पार्षदों के लिए आरक्षण लॉटरी के माध्यम से तय किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने निकाय चुनाव के दौरान महापौर, अध्यक्ष और पार्षदों के आरक्षण की 25 सीलिंग को हटाने की अनुशंसा की है। इस कदम से ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की सीटें कहीं बढ़ सकती हैं, तो कहीं घट भी सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, नगर निगम रायपुर में ओबीसी सीटों में वृद्धि हो सकती है, वहीं जहां एससी (आनुसूचित जाति) और एसटी (आनुसूचित जनजाति) का प्रतिशत कम है, वहां ओबीसी की सीटों में इज़ाफा हो सकता है। शासन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं करने का मसौदा तैयार किया है। इस पर कैबिनेट की अगली बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
निकाय चुनाव के लिए चर्चा है कि 15 दिसंबर के बाद कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है, क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 11 दिसंबर को किया जाएगा। इसके पहले सभी निकायों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके युवाओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ें और उसकी शुद्धता सुनिश्चित करें, ताकि बाद में किसी प्रकार की आपत्ति का सामना न करना पड़े।