CG News: जंगलों की हकीकत पेड़ों की कटाई का बढ़ता सिलसिला, लोग सिर्फ ठूंठ देख रहे हैं

CG News: कोंडागाँव में साल के जंगलों से कभी अच्छादित रहने वाला दक्षिण वन मंडल का इलाका अब धीरे-धीरे हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई के चलते पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है। यह इलाका, जो एक समय में हरियाली से लहराता था, अब बेजान और बंजर दिखाई दे रहा है। यहां के घने जंगल, जो वन्यजीवों का घर थे, अब उन पेड़ों के लिए खतरे में हैं जो इस क्षेत्र की जीवनरेखा माने जाते थे। अवैध कटाई के कारण न केवल पर्यावरण पर असर पड़ा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव भी यहां अधिक महसूस हो रहे हैं।

क्षेत्रीय वन्यजीवों के लिए यह एक गंभीर संकट का कारण बन गया है। जंगलों के कम होने से जानवरों की जीवनशैली और आवासीय स्थानों में बदलाव आया है। पेड़ों के काटने से मिट्टी का कटाव भी बढ़ गया है, जिससे नदी-नालों की जलधारा प्रभावित हो रही है।

इन अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सरकारी और स्थानीय अधिकारियों द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य साबित हो रहा है। जनता में जागरूकता फैलाने और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और पारिस्थितिकी को बचाया जा सके।

यह विवरण छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव जिले में स्थित दक्षिण वन मंडल के इलाके के बारे में है, जो पहले घने जंगलों से अच्छादित रहता था। अब, यहाँ पर अवैध पेड़ कटाई के कारण हरे-भरे पेड़ों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। भले ही वन विभाग के कागजी दस्तावेजों में पेड़ों की संख्या कुछ अलग हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि जंगलों में घटती हरियाली और पेड़ों की कमी इसे साफ दर्शाती है।

अब लोग पेड़ों की बजाय ठूंठों का हिसाब लगा रहे हैं

यह वर्णन उस इलाके की स्थिति को दर्शाता है, जहाँ लगातार पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। यहां, नारंगी वन परिक्षेत्र के कारसिंग इलाके की बात की जा रही है, जो कि असलनार तक बनी मिट्टी या मुरुम की सड़क के पास स्थित है। यह क्षेत्र अवैध पेड़ कटाई का शिकार हो रहा है, और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस समस्या को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस प्रकार की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने में अधिकारियों की लापरवाही साफ दिख रही है, जिससे स्थानीय पर्यावरण और वन्यजीवों को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।

अवैध कटाई के चलते यह इलाका अब धीरे-धीरे मैदान की तरह नजर आने लगा है। पहले यह क्षेत्र घने जंगलों से भरा हुआ था, जहां पेड़-पौधे और वनस्पतियाँ भरपूर थीं। लेकिन अब आप यहां आसानी से पेड़ों की गिनती कर सकते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि जंगल की घनता घट रही है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ समय पहले तक इस क्षेत्र में घना जंगल था, लेकिन अब यह एक उजड़े हुए इलाके की तरह दिखाई दे रहा है, जहां पेड़ों की कमी साफ नजर आती है।

वन विभाग की लापरवाही और अवैध कटाई का संकट

इस इलाके में इतनी बड़ी मात्रा में वनों की अवैध कटाई हो रही है कि वन विभाग के पास इस पर कोई ठोस कदम उठाने का समय ही नहीं है। कटाई के बाद पेड़ों की बल्लियां और गोला खुले आसमान के नीचे जंगल में बिखरे पड़े होते हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस मुद्दे पर अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है, जिसके कारण यह सिलसिला लगातार जारी है।

अवैध कटाई करने वाले लोग जंगल में ही कटे हुए लकड़ी से चिरान भी निकाल रहे हैं। यह स्थिति यह संकेत देती है कि शायद वन विभाग को इस अवैध गतिविधि पर मौन सहमति है, या फिर जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभा रहे हैं। इस लापरवाही के चलते वन संपदा की बर्बादी हो रही है और पर्यावरण को भी गहरा नुकसान पहुँच रहा है।

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