CG Paddy Procurement: कोरबा जिले में मिलर्स की ओर से बताया गया है कि धान की मिलिंग को लेकर उनका प्रतिनिधि मंडल सरकार के संपर्क में है और विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की जा रही है। इस संदर्भ में, मिलर्स ने सरकार से धान की मिलिंग प्रक्रिया को लेकर कुछ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक की योजना बनाई है। उनका उद्देश्य किसानों और मिलर्स दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए बेहतर नीतियां और समाधान तैयार करना है, ताकि उत्पादन प्रक्रिया में कोई विघ्न न आए और किसानों को उचित मूल्य मिल सके।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मिलर्स की ओर से यह जानकारी दी गई है कि उनके प्रतिनिधि मंडल ने सरकार से संपर्क किया है और धान की मिलिंग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की जा रही है। इस बातचीत में सबसे बड़ा मुद्दा पेनाल्टी की शर्तों और धान को जमा करने के तरीके को लेकर है। मिलर्स का कहना है कि इन शर्तों में कुछ बदलाव की आवश्यकता है, ताकि मिलिंग की प्रक्रिया को सुचारू और प्रभावी बनाया जा सके।
यह विवरण बताता है कि मिलर्स ने बताया है कि धान की खरीदी प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन कई मिलर्स ने पिछले वित्तीय वर्ष में मिलिंग के लिए उठाए गए धान का पूरा भुगतान अभी तक नहीं किया है। इस काम को दिसंबर तक पूरा किया जाना था। मिलर्स के अनुसार, जब तक चावल जमा करने का पुराना हिसाब नहीं पूरा होगा, तब तक खरीदी केंद्रों से नया धान मिलिंग के लिए नहीं उठाया जाएगा।
यह बयान इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि पुराने भुगतान की स्थिति को हल किए बिना नए धान को मिलिंग के लिए उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पेनाल्टी नियमों को हटाने की बात, मिलर्स ने दिया अहम बयान
एक राइस मिलर्स संघ के पदाधिकारी ने बताया कि इस समय प्रदेश सरकार के गोदामों में नया चावल रखने के लिए जगह की भारी कमी हो गई है। ऐसे में सरकार पुराना चावल लेने पर ज्यादा जोर दे रही है, और नए चावल की खरीद को लेकर अभी बातचीत चल रही है, लेकिन इस पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बनी है। इस कारण मिलर्स का एमओयू पर रुख अभी स्पष्ट नहीं है।
राइस मिलर्स को मनाने के लिए राज्य सरकार की कोशिशें लगातार जारी हैं, लेकिन मिलर्स अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, वे कोई अनुबंध नहीं करेंगे। सबसे बड़ी समस्या पेनाल्टी की राशि को लेकर है। मिलर्स का कहना है कि जब तक सरकार इसे हटाने का कदम नहीं उठाती, तब तक वे कोई अनुबंध नहीं करेंगे। इसके अलावा, मिलर्स ने मिलिंग को लेकर बनाए गए नियमों और शर्तों पर भी कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई है।
इस माह के अंत तक बन सकती है राजनीतिक सहमति
यह विवरण एक मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी का बयान है, जिसमें उन्होंने बताया कि दिसंबर तक हर मिलर को पूर्व वित्तीय वर्ष में उठाए गए धान और चावल का हिसाब-किताब देना होता है। इस बयान में यह स्पष्ट किया गया है कि यह कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, लेकिन यह अनिवार्य है कि पिछले वर्ष का चावल जमा किए बिना नया वित्तीय वर्ष शुरू नहीं किया जा सकता। एक बार हिसाब-किताब क्लियर होने के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जा सकेगा।
70 हजार क्विंटल धान की खरीददारी से किसानों को मिलेगा राहत
यह विवरण किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी से संबंधित है, जिसमें विभिन्न सोसाइटियों के केंद्रों पर धान की खरीदारी की गई है। इसमें बताया गया है कि लगभग 70 हजार टन धान की खरीदी की गई है, और सबसे ज्यादा धान निरधी के केंद्र से खरीदा गया है, जहां करीब पांच हजार क्विंटल धान लिया गया है। इसके अतिरिक्त चिकनीपाली के लबेद, कोरबी-पाली, करतला, पोड़ी उपरोड़ा और बरपाली सहित अन्य कई केंद्रों पर भी हजारों क्विंटल धान की खरीदी की गई है। यह प्रक्रिया किसानों को समर्थन मूल्य देने और उनके उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जाती है।