CG Politics : विधानसभा नहीं संभाल पा रहे तो इस्तीफा दें केदार कश्यप का हरीश कवासी को संदेश

CG Politics : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी द्वारा जारी एक प्रेस नोट का है। इसमें उन्होंने नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप पर गंभीर आरोप लगाए हैं और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की है। कवासी ने बस्तर के नारायणपुर जिले की एक घटना का उल्लेख किया, जिसमें एक तस्वीर के माध्यम से एक विचलित कर देने वाली स्थिति को उजागर किया गया है।

यह बयान आदिवासी बहुल क्षेत्र में घटित किसी गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करता है, जिससे क्षेत्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं। इस बयान में कवासी ने क्षेत्रीय विकास, सामाजिक न्याय और राजनीतिक जवाबदेही के सवाल उठाए हैं।

छत्तीसगढ़ के मंत्री केदार कश्यप के विधानसभा क्षेत्र में विकास की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करता है। इसमें कहा गया है कि मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में बच्चे टॉयलेट में रहकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं, जो शासन के सुशासन पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। यह भी सवाल उठाया गया है कि क्या आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु साय ने नवा छत्तीसगढ़ की जो कल्पना की है, उसमें ऐसे हालात शामिल हैं, जहां बच्चों का भविष्य टॉयलेट में बिता रहे हैं। यह बयान क्षेत्रीय विकास की स्थिति और शासन की जिम्मेदारी पर आलोचना करता है, और यह उम्मीद जताता है कि शासन इस मुद्दे पर ध्यान दे और सुधार की दिशा में कदम उठाए।

इस घटना को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मामले में त्वरित कार्रवाई करने की बजाय, मंत्री केदार कश्यप यह बयान दे रहे हैं कि जिन पत्रकारों ने आश्रम में वीडियोग्राफी करके इस मामले को उजागर किया, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मंत्री के इस बयान से यह साफ प्रतीत होता है कि वे इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। पत्रकारों को उनके इस प्रयास से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि पत्रकार हमारे देश के चौथे स्तंभ हैं। यदि ये पत्रकार वीडियोग्राफी नहीं करते, तो यह मामला जनता के बीच नहीं आता, और भविष्य के इन बच्चों को अपनी शिक्षा के लिए इस तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ता। यह उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है।

कवासी ने आगे कहा कि इस तरह की उल्टे-सीधे बयानबाजी से छत्तीसगढ़ राज्य का कोई भला नहीं होगा। अगर मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र को संभालने में असमर्थ हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

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