Chhattisgarh: बीजापुर, जो छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में आता है, एक समय था जब यहां नक्सलियों का शासन था। लेकिन अब स्थिति में बदलाव आ रहा है। इस जिले में कलेक्टर ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल की है, जिससे स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है। कलेक्टर के प्रयासों से शिक्षा की अलख जगाई गई है, और अब बच्चों और युवाओं को शिक्षा के लाभ के बारे में बताया जा रहा है। यह बदलाव न केवल इस इलाके की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद कर रहा है, बल्कि यहां के लोगों में नई उम्मीद और अवसरों की एक नई किरण भी पैदा कर रहा है।
बीजापुर जिले, जो छत्तीसगढ़ राज्य का हिस्सा है, में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों को अब राष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है। यहां के “स्कूल फिर चले” अभियान (स्कूल वेंडे वर्राट पंडुम) को स्कॉच अवार्ड में सिल्वर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस अभियान की सफलता में बीजापुर के तत्कालीन कलेक्टर अनुराग पांडेय के नेतृत्व में जिला प्रशासन और समुदाय के बीच एक मजबूत संवाद स्थापित किया गया। उनकी निरंतर कोशिशों और समर्पण ने इस पहल को सफलता दिलाई, जिससे जिले के शिक्षा क्षेत्र में सुधार हुआ और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने के रास्ते खुले।
550 गांवों का दौरा करके किया गया सर्वे
यह एक मानव लेखक का विवरण हो सकता है जो शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा है और विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों के अधिकारों और शिक्षा की पुनः स्थापना के लिए प्रयासरत है। इस लेखक ने 20 वर्षों से बंद पड़े 28 स्कूलों को पुनः खोलने में सफलता हासिल की है। इसके तहत, उन्होंने जिले के 550 गांवों में घर-घर जाकर सर्वे किया और 6 से 18 वर्ष के लगभग 7,000 बच्चों की पहचान की। इनमें से 4,000 बच्चों को शाला त्यागी और अप्रवेशी के रूप में पहचाना गया, जिनका पुनः प्रवेश सुनिश्चित किया गया। यह लेखक शिक्षा के महत्व को समझते हुए और बच्चों के भविष्य को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।यह लेख माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए किए गए प्रयासों की सफलता की कहानी को दर्शाता है। पिछले 20 वर्षों में, इन क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिला है, जिससे ग्रामीणों में शिक्षा के प्रति जागरूकता का स्तर भी बढ़ा है। पहले जहां शिक्षा के महत्व को लेकर लोग अवगत नहीं थे, वहीं अब ग्रामीण समुदाय इसे समझने लगे हैं। इसके अलावा, बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अब वे प्रेरित हो रहे हैं।
सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं और शिक्षा के लाभ के बारे में जागरूकता फैलाने के प्रयासों ने इन क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाया है। इसके परिणामस्वरूप, इन क्षेत्रों के लोग अब अपने जीवन स्तर को सुधारने के लिए शिक्षा को एक महत्वपूर्ण साधन मानने लगे हैं। यह अभियान एक नई दिशा की ओर बढ़ते हुए शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।
30 नए स्कूल और 24 बंद स्कूल
यह समाचार छत्तीसगढ़ के बीजपुर क्षेत्र से संबंधित है, जहां पिछले 20 वर्षों से बंद पड़े 24 स्कूलों को फिर से खोला गया है। इसके अलावा, 30 से ज्यादा नए स्कूलों की शुरुआत भी की गई है। इस कदम से शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आने की उम्मीद है, और यह बच्चों के लिए नए अवसर उत्पन्न करेगा। यह प्रयास शिक्षा के स्तर को बढ़ाने और बच्चों को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।