CG News: आसमान के नीचे श्रृंगी ऋषि की प्रतिमा एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण

CG News: यह विवरण धमतरी जिले के सिहावा पर्वत से संबंधित है, जहां सप्त ऋषियों का आश्रम स्थित है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर श्रीराम के वनवासकाल से जुड़े घटनाओं के संदर्भ में। श्रीराम ने यहां कुछ समय व्यतीत किया था। श्रीमद्भागवत कथा के अनुसार, श्रृंगी ऋषि का जन्म एक मृगी से हुआ था, जो एक दिलचस्प और अद्वितीय कथा का हिस्सा है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

यह विवरण राम वन गमन पथ कॉरीडोर के बारे में है, जो छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है। सिहावा पर्वत, जो रायपुर से 148 किमी दूर धमतरी जिले के नगरी ब्लाक में स्थित है, सप्तऋषियों के आश्रम के रूप में प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र राम के वन गमन मार्ग का हिस्सा है, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पत्रिका ने इस महत्वपूर्ण स्थल पर ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग की है, जो इस क्षेत्र की गहरी जानकारी और महत्व को उजागर करती है।

यह क्षेत्र न केवल धार्मिक आस्थाओं का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह राम के वनवास के दौरान के मार्ग से जुड़ा हुआ है।

राम वन गमन पथ: एक धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा

यहां सबसे ऊंची मुचकुंद पहाड़ी के नीचे पिछली सरकार द्वारा 30 फीट ऊंची प्रभु श्रीराम की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। इस पहाड़ी के एक किनारे पर 9.61 करोड़ रुपये की लागत से 4 एकड़ क्षेत्र में राम वन गमन पथ की झलकियां प्रदर्शित की गई हैं। जिस श्रृंगी ऋषि के यज्ञ के फलस्वरूप प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था, उनकी प्रतिमा खुले आसमान के नीचे रखी गई है। इसी प्रकार, ऋषि श्रृंगी के साथ 6 अन्य ऋषियों की प्रतिमाएं भी इसी हालत में हैं। यह स्थान ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण केंद्र बन चुका है।

मॉड्यूलर शॉप में खराबी: व्यापारी और ग्राहक दोनों की चिंता

यह विवरण एक सार्वजनिक स्थल या पर्यटन क्षेत्र की स्थिति का वर्णन करता है, जहां कई निर्माण कार्य अधूरे और अव्यवस्थित हैं। प्रतिमाओं के आसपास खुले सरिये पड़े हैं, और हरियाली की कमी है। दीप स्तंभ की टाइल्स उखड़ी हुई हैं और कई स्थानों पर क्षति हुई है। एप्रोच रोड की हालत भी खराब है, जिसमें कुछ हिस्से सीसी रोड से बने हैं, जबकि आधे में कच्ची मुरूम सड़क है। यज्ञ शाला, ओवरहेड वाटर टैंक और कॉटेज निर्माण जैसे कार्य अधूरे पड़े हैं। कॉटेज की पुताई चूने से की गई है, लेकिन उसे अधूरा छोड़ दिया गया है। पर्यटन सूचना केन्द्र और मॉड्यूलर शॉप की स्थिति भी खराब है। वाटिका में जो पौधरोपण किया गया था, वह भी अनदेखी के कारण मुरझा चुके हैं।

इससे यह जाहिर होता है कि इस स्थान पर उचित देखरेख और विकास की आवश्यकता है ताकि यह एक आकर्षक और कार्यशील पर्यटन स्थल बन सके।

पर्यटकों का चेहरा बता रहा है निराशा, यात्रा का अंत

सिहावा क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जो पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ है। यहाँ की शांत और सुंदर वादियां, चारों ओर फैली हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। श्रृंगी ऋर्षि पर्वत, जो धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। यह स्थान पर्यटकों के लिए आदर्श स्थान है, जो प्रकृति की सुंदरता और शांति का अनुभव करना चाहते हैं। हालांकि, यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है।

राम वन गमन पथ के लोकर्पण के बाद, यहाँ पर्यटकों की संख्या में कुछ वृद्धि हुई है, लेकिन अधिकांश पर्यटक मायूस होकर लौट जाते हैं। इसका कारण शायद पर्यटन सुविधाओं की कमी, मार्गों की हालत या अन्य कारण हो सकते हैं, जिससे उनका अनुभव अपेक्षाकृत अच्छा नहीं हो पाता।

यह एक ग्राउंड रिपोर्टिंग का उदाहरण है, जिसमें एक पत्रकार ने स्थल पर जाकर स्थिति का जायजा लिया और वहां आए पर्यटकों से बातचीत की। रिपोर्ट में भिलाई निवासी कविता साहू का बयान शामिल है, जिन्होंने अपने परिवार के साथ राम वन गमन पथ के दर्शनों के लिए वहां यात्रा की थी। कविता साहू ने बताया कि उनका उद्देश्य यहां आकर धार्मिक स्थल का अनुभव करना था, लेकिन उनकी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यहां कोई खास सौंदर्यीकरण नहीं किया गया है और जो निर्माण कार्य किए गए हैं, वे भी अधूरे हैं। इस स्थिति में उन्होंने महसूस किया कि उनका यहां आना व्यर्थ हो गया है।

यह रिपोर्ट दर्शाती है कि स्थल पर अव्यवस्थित विकास के कारण पर्यटकों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पा रही हैं और वे निराश हैं।

बंद शांता गुफा: इतिहास और वर्तमान की परतें

धमतरी जिले के सिहावा पर्वत में सप्त ऋषियों का आश्रम स्थित है, जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहाँ प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल में काफी समय बिताया था। श्रीमद भागवत कथा के अनुसार श्रृंगी ऋषि मृगी से उत्पन्न हुए थे, इस कारण उनके माथे पर एक सिंग था और उनका नाम श्रृंगी पड़ा। किवदंती के अनुसार, राजा दशरथ को पुत्र की कामना थी, इसलिए उन्होंने श्रृंगी ऋषि को पुत्रेष्ठी यज्ञ के लिए अयोध्या बुलाया। यज्ञ के बाद ही माता कौशिल्या की कोख से प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ। वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम श्रृंगी ऋषि के आश्रम में ठहरे थे। श्रृंगी ऋषि भगवान राम के बहनोई थे, क्योंकि उनका विवाह रामजी की बड़ी बहन शांता से हुआ था। आज भी शांता गुफा बंद पड़ी है, और इस पर कोई विकासात्मक प्रयास नहीं किया गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस क्षेत्र में भालू, तेंदुआ सहित अन्य वन्य जीवों का विचरण होता है।

9.61 करोड़ के विकास कार्यों का हुआ शुभारंभ

मुचकुंद पहाड़ के ठीक नीचे राम वन गमन पथ के विकास के लिए 9.61 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस परियोजना में प्रवेश द्वार, एलईडी ब्राडिंग, प्रभु श्रीराम की प्रतिमा, श्रीराम वाटिका, सप्त ऋषियों की प्रतिमा, एक कॉटेज, पार्किंग, पर्यटक सूचना केन्द्र, एप्रोच रोड, लॉन विकास, माड्यूलर शॉप, करटेन वॉल, रेलिंग जैसी सुविधाओं का निर्माण किया गया। हालांकि, इन सुविधाओं की देखरेख की कमी के कारण अधिकांश का हाल खस्ता हो चुका है। वर्षभर में केवल गिनती के पर्यटक ही यहां पहुंचते हैं।

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