Budget 2025: घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए बजट में सुधार की योजना

Budget 2025: सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, इंपोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) के लिए 50 से 55 आइटम्स की एक लिस्ट तैयार की गई है। इस लिस्ट का उद्देश्य आयात शुल्क की चोरी और ड्यूटी इनवर्जन (शुल्क से बचने की प्रक्रिया) से बचाव करना है। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद, इन वस्तुओं पर इंपोर्ट ड्यूटी को पुनः लागू करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि देश में घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिले और विदेशी सामान के आयात पर नियंत्रण किया जा सके।

सूत्रों ने बताया कि इस सूची में शामिल वस्तुएं वह हैं जिनका आयात अधिक किया जा रहा है और जिनकी ड्यूटी चोरी की संभावना अधिक होती है। ड्यूटी इनवर्जन का मतलब होता है जब किसी वस्तु पर निर्धारित आयात शुल्क का भुगतान नहीं किया जाता या उसे कम कर दिया जाता है, जिससे घरेलू उत्पादक को नुकसान होता है और देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ता है। इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, ताकि इनवर्जन को रोका जा सके और उचित आयात शुल्क सुनिश्चित किया जा सके।

इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने सरकार को एक सुझाव दिया है कि तीन अलग-अलग दरों (रेट्स) को तय किया जाए, ताकि विभिन्न वस्तुओं पर आयात शुल्क की दरें समायोजित की जा सकें। यह कदम घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि उनके लिए प्रतिस्पर्धा को आसान किया जा सके और विदेशी सामान से उत्पन्न दबाव को कम किया जा सके। इस तरह का कदम विभिन्न उत्पादों के आयात पर नज़र रखने के साथ-साथ देश में निर्मित उत्पादों की कीमतों को भी नियंत्रित करने में मदद करेगा।

इसके अलावा, व्यापारिक मामलों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार आयातकों पर कड़ी निगरानी रखने का प्रयास कर रही है। सूत्रों के अनुसार, ड्यूटी इनवर्जन से बचने के लिए आयातकों को कानूनी रूप से बाध्य करने के लिए कई उपायों पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत ऐसे व्यापारिक प्रथाओं को समाप्त करने की योजना है, जो किसी तरह से आयात शुल्क की चोरी करती हों। इसके अलावा, सरकार ने आयातकों को सुझाव दिया है कि वे अपने व्यापारिक लेन-देन को पूरी तरह से वैध और पारदर्शी बनाएं, ताकि व्यापार में निष्पक्षता बनी रहे।

भारत सरकार इस समय अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा और विकास को लेकर बहुत गंभीर है। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वह विदेशों से आने वाली वस्तुओं पर ड्यूटी बढ़ाने के लिए कदम उठाएगी। इससे जहां एक ओर घरेलू उत्पादकों को फायदा होगा, वहीं दूसरी ओर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि देश में विदेशी सामान का बढ़ता प्रभाव कम किया जा सके।

इसके अलावा, उद्योग के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आयात शुल्क को पुनः लागू करने से स्थानीय निर्माताओं को अपने उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने और बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। साथ ही, यह कदम देश के आर्थिक विकास को भी बल प्रदान करेगा, क्योंकि आयात शुल्क बढ़ाने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी और स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।

कुल मिलाकर, यह कदम भारत सरकार के व्यापार नीति को संतुलित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है, ताकि आयात शुल्क में वृद्धि से न केवल घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिल सके, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की जा सके।

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