CG NEWS: बसंत पंचमी पर बच्चों का विद्यारंभ मां सरस्वती की कृपा से शिक्षा का शुभारंभ

CG NEWS: भारत में ऋतुओं का अपना विशेष महत्व है, और उनमें से बसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है। बसंत पंचमी का यह पावन पर्व न केवल ऋतु परिवर्तन का संकेत देता है, बल्कि ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी मां सरस्वती की आराधना का भी विशेष अवसर होता है। इस दिन को शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, विशेष रूप से छोटे बच्चों के विद्यारंभ संस्कार के लिए। यह परंपरा माता-पिता और संपूर्ण परिवार के लिए गर्व और आनंद का क्षण होती है, जब उनके नन्हे बच्चे अपने जीवन की पहली पाठशाला में प्रवेश करते हैं।

विद्यारंभ संस्कार का महत्व

विद्यारंभ संस्कार का तात्पर्य बच्चे की शिक्षा के प्रथम चरण से है। यह न केवल औपचारिक शिक्षा की शुरुआत होती है, बल्कि यह संस्कार बच्चे को ज्ञान की ओर प्रेरित करता है। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि मां सरस्वती की कृपा से ही व्यक्ति को विद्या, कला, संगीत और वाणी में निपुणता प्राप्त होती है। इसलिए बसंत पंचमी पर विद्यारंभ संस्कार करना अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

कैसे किया जाता है विद्यारंभ संस्कार

बसंत पंचमी के दिन प्रातः स्नान करने के बाद बच्चे को पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं, क्योंकि पीला रंग समृद्धि और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद एक पवित्र स्थान पर मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।

संस्कार की शुरुआत पूजा-अर्चना से होती है, जिसमें देवी सरस्वती को पुष्प, अक्षत, हल्दी और पीले रंग की मिठाइयों का भोग अर्पित किया जाता है। इसके बाद गुरु या परिवार के बड़े सदस्य बच्चे का हाथ पकड़कर उसे पहली बार स्लेट या कागज पर “ॐ” या “अक्षर” लिखवाते हैं। इसे “अक्षरारंभ” भी कहा जाता है। यह प्रक्रिया दर्शाती है कि बच्चा अब ज्ञान के पथ पर अग्रसर हो रहा है।

मां सरस्वती की कृपा और बसंत पंचमी का महत्व

माना जाता है कि इस दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था, इसलिए उनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान और सृजनात्मकता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विद्यार्थियों, कलाकारों, लेखकों और शिक्षकों के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।

विद्यारंभ संस्कार के साथ माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और इस शुभ दिन पर देवी सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त कर उनका शिक्षाज्ञान प्रारंभ कराते हैं। यह परंपरा शिक्षा के महत्व को दर्शाती है और हमारी संस्कृति में ज्ञान की सर्वोच्चता को स्थापित करती है।

निष्कर्ष

बसंत पंचमी पर विद्यारंभ संस्कार न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह शिक्षा और संस्कृति के प्रति हमारी आस्था को भी दर्शाता है। यह संस्कार बच्चों के लिए ज्ञान की प्रथम सीढ़ी है, जो उन्हें उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करता है। मां सरस्वती की कृपा से विद्या प्राप्त करने वाले बच्चे आगे चलकर समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं और अपनी बुद्धिमत्ता से जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

इस बसंत पंचमी पर, अपने बच्चों के विद्यारंभ संस्कार को शुभ और मंगलकारी बनाएं और मां सरस्वती की कृपा से उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करें।

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