CG NEWS: साहित्य समिति के वासंती समारोह में पंडवानी का आयोजन एक अद्भुत और आकर्षक अनुभव था। इस कार्यक्रम में पंडवानी के महान कला को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया, जो दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया। पंडवानी, छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख लोक कला है, जो महाभारत के पांडवों की गाथाओं को गाने की पारंपरिक विधा है। इसे एक तरह से कथा गायन कहा जा सकता है, जिसमें संगीत, अभिनय और कथा कहने की कला का अद्भुत संगम होता है।
समारोह के दौरान, पंडवानी कलाकारों ने अपनी कला का ऐसा प्रभावशाली प्रदर्शन किया कि उपस्थित श्रोताओं को जैसे महाभारत की गाथाओं का एक जीवंत रूप देखने को मिला। कलाकारों ने अपनी गहरी आवाज़ों और शारीरिक हाव-भाव के माध्यम से दर्शकों को कर्ण, भीम, अर्जुन, युधिष्ठिर जैसे पात्रों के संघर्ष, वीरता, और मानवीय भावनाओं का अनुभव कराया। उनके द्वारा गाए गए गीतों में अद्वितीय सांगीतिक तत्व थे, जो पंडवानी की विशिष्ट शैली को और भी आकर्षक बना रहे थे।
कार्यक्रम की शुरुआत में, कला की इस परंपरा के इतिहास और महत्त्व पर एक संक्षिप्त परिचय दिया गया, ताकि सभी श्रोताओं को इस महान कला के बारे में जानकारी हो सके। उसके बाद, कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों में शास्त्रीय संगीत, ताल, और अभिनय के माध्यम से हर शब्द को जीवंत कर दिया। पंडवानी की यह प्रस्तुति न केवल एक सांगीतिक अनुभव था, बल्कि यह एक भावनात्मक यात्रा भी थी, जिसमें दर्शक पांडवों के संघर्षों और बलिदानों के साथ जुड़ते गए।
वासंती समारोह में पंडवानी का यह आयोजन साहित्य और कला के प्रेमियों के लिए एक अनमोल उपहार साबित हुआ। यह कार्यक्रम केवल एक सांस्कृतिक अनुभव नहीं था, बल्कि यह पंडवानी की महानता और उसकी समृद्ध परंपरा को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।