CG NEWS: सौ सालों में इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन रेलवे की नई दिशा

CG NEWS: रेलवे परिवहन के क्षेत्र में इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन का योगदान पिछले सौ वर्षों में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। इस यात्रा की शुरुआत 20वीं शताबदी के पहले दशकों में हुई थी, जब रेलवे में डीजल और भाप इंजनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक इंजनों को लाने का विचार किया गया। यह परिवर्तन न केवल रेलवे संचालन को और अधिक सक्षम और समय की बचत करने वाला बनाता था, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी फायदेमंद था।

इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की शुरुआत

इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन का भारतीय रेलवे में आगमन 1925 में हुआ। शुरुआत में यह केवल कुछ प्रमुख मार्गों पर ही लागू हुआ, लेकिन समय के साथ इसने पूरे नेटवर्क में फैलना शुरू कर दिया। पहले इलेक्ट्रिक ट्रेनों का उपयोग मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में किया जाता था, जहां यात्री सेवा अधिक थी, जैसे मुंबई और दिल्ली की उपनगरीय लाइनें। इन ट्रेनों के परिचालन से यात्रियों को तेज़ और सस्ती यात्रा का अनुभव मिला।

तकनीकी विकास और विस्तार

1950 और 1960 के दशकों में भारतीय रेलवे ने इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन प्रणाली को और अधिक मजबूत किया। इसके साथ ही नई तकनीकों, जैसे उच्च वोल्टेज सप्लाई और विभिन्न प्रकार के मोटर्स का उपयोग शुरू हुआ। इलेक्ट्रिक इंजन की शक्ति और क्षमता में लगातार सुधार हुआ, जिससे लंबी दूरी की ट्रेनों में भी इलेक्ट्रिक ट्रेनों का संचालन संभव हुआ।

इस दौरान, रेलवे मंत्रालय ने ट्रैक्शन प्रणाली के विस्तार के लिए कई योजनाएं बनाई। उदाहरण के लिए, नई इलेक्ट्रिक लाइनों का निर्माण, पुराने ट्रैक्शन सिस्टम की उन्नति और उपयुक्त इंजन की खरीदारी की गई। इससे रेलवे की कार्यक्षमता बढ़ी और यात्री सेवाओं में सुधार हुआ।

पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव

इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन का एक प्रमुख लाभ यह था कि इससे रेलवे के संचालन में प्रदूषण में कमी आई। भाप और डीजल इंजन से होने वाला धुंआ और प्रदूषण, जिसे कभी रेलवे के संचालन का हिस्सा माना जाता था, अब समाप्त हो गया। बिजली से चलने वाली ट्रेनें न केवल अधिक सफाई से चलती हैं, बल्कि इनका ऊर्जा स्रोत भी पर्यावरण के लिए अधिक स्थिर और शुद्ध है।

नई दिशा और भविष्य

आज के दौर में, भारतीय रेलवे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन के मार्ग पर अग्रसर है। 2025 तक, रेलवे ने 100% इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन का लक्ष्य रखा है। इससे न केवल भारतीय रेलवे की कार्यक्षमता में सुधार होगा, बल्कि देश की ऊर्जा संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में भी काफी कमी आएगी।

इसके अलावा, भारतीय रेलवे की योजना हाई-स्पीड ट्रेनों और अन्य नवीनतम इलेक्ट्रिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने की है। इसका उद्देश्य न केवल यात्री सेवाओं को बेहतर बनाना है, बल्कि मालवाहन के क्षेत्र में भी इलेक्ट्रिक ट्रेनों का उपयोग बढ़ाना है, जिससे भारत को एक स्थायी और आधुनिक रेलवे नेटवर्क मिल सके।

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