CG NEWS: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का धमधा क्षेत्र टमाटर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और इसे “टमाटर का हब” कहा जाता है। यहां के किसान हर साल लाखों टन टमाटर उगाते हैं, जिससे प्रदेशभर में इसकी आपूर्ति होती है। लेकिन इस बार टमाटर की अधिक पैदावार ने किसानों को भारी नुकसान में डाल दिया है। बाजार में मांग कम और उत्पादन ज्यादा होने के कारण टमाटर के दाम इतने गिर गए हैं कि किसान इसे खेतों में ही सड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं।
25 हजार एकड़ में टमाटर की खेती, फिर भी घाटे में किसान
धमधा क्षेत्र में करीब 25 हजार एकड़ में टमाटर की खेती होती है, जिससे हर साल 1.90 लाख मीट्रिक टन से अधिक टमाटर का उत्पादन होता है। यहां के 70% किसान टमाटर की खेती करते हैं, क्योंकि यह पहले फायदे का सौदा माना जाता था। लेकिन इस बार बाजार में टमाटर की भरमार हो गई, जिससे इसकी कीमतें इतिहास में सबसे निचले स्तर पर आ गईं।
1-2 रुपए किलो में बिक रहा टमाटर
थोक मंडियों में टमाटर की कीमत 1-2 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है, जिससे किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कई किसान अपनी उपज को खेतों में ही फेंकने को मजबूर हैं, क्योंकि मजदूरी और ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा।
किसानों ने सरकार से मदद की मांग की
इस स्थिति को देखते हुए किसानों ने सरकार से राहत पैकेज और उचित मूल्य दिलाने की मांग की है। वे चाहते हैं कि सरकार या तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करे या फिर किसानों की फसल को सीधे खरीदने की व्यवस्था करे, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके।
निष्कर्ष
धमधा, जो कभी टमाटर उत्पादन से किसानों के लिए समृद्धि का प्रतीक था, अब अत्यधिक उत्पादन के कारण किसानों के लिए नुकसान का सौदा बन गया है। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो भविष्य में किसान टमाटर की खेती से मुंह मोड़ सकते हैं, जिससे प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।