CG NEWS: भूमि रजिस्ट्री नियमों में बदलाव, पेड़ों के मूल्यांकन से किसानों को छूट

CG NEWS: छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के हित में एक ऐतिहासिक और सराहनीय निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री की पहल पर भूमि की रजिस्ट्री प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव किया गया है, जिससे किसानों को राहत मिलेगी। नए आदेश के अनुसार, अब जमीन की रजिस्ट्री के समय उस पर मौजूद पेड़ों का मूल्यांकन नहीं किया जाएगा। इसका मतलब है कि यदि किसी जमीन पर साल, सौगान जैसे इमारती लकड़ी के वृक्ष हैं, तो उनके मूल्य को रजिस्ट्री के बाजार मूल्य में शामिल नहीं किया जाएगा।

पहले इस मूल्य को जोड़कर रजिस्ट्री के लिए स्टांप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क लिया जाता था, जिससे किसानों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ सहना पड़ता था। लेकिन अब नई व्यवस्था लागू होने से ऐसा नहीं होगा, और जमीन की रजिस्ट्री केवल भूमि के बाजार मूल्य के आधार पर ही की जाएगी।

पहले की व्यवस्था में, अगर किसी किसान की जमीन पर कीमती वृक्ष होते थे, तो उन वृक्षों का मूल्यांकन बाजार दर पर किया जाता था। इस अतिरिक्त मूल्यांकन के कारण रजिस्ट्री की कीमत बढ़ जाती थी, जिससे स्टांप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क भी बढ़ जाता था। इससे न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता था, बल्कि रजिस्ट्री प्रक्रिया भी जटिल और समय लेने वाली हो जाती थी। पटवारी का प्रतिवेदन और अन्य कागजी कार्रवाई के कारण किसानों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता था। इस नई नीति के तहत अब इन सभी समस्याओं का समाधान हो गया है।

इस निर्णय को लागू करने से पहले महा निरीक्षक पंजीयन की अध्यक्षता में केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वृक्षों के मूल्य गणना से संबंधित प्रावधान को हटा दिया जाए। इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि किसी संपत्ति पर वृक्ष होने या न होने से उसके बाजार मूल्य पर कोई प्रभाव न पड़े। इस फैसले से किसानों को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि रजिस्ट्री प्रक्रिया भी सरल और पारदर्शी हो जाएगी।

हालांकि इस नई व्यवस्था के कारण राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन सरकार ने इसे जनहित से जुड़ा फैसला मानते हुए स्वीकार कर लिया है। अनुमान है कि इस नीति से सरकार को लगभग 10 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी होगी। पंजीयन एवं मुद्रांक आयुक्त पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने कहा कि सरकार ने किसानों की भलाई को प्राथमिकता दी है। यह निर्णय विशेष रूप से किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि अब उन्हें जमीन की रजिस्ट्री में अनावश्यक शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वाणिज्य कर (पंजीयन) मंत्री ओपी चौधरी ने किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया था कि भूमि रजिस्ट्री की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाया जाए। इस बदलाव से न केवल किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि समय और संसाधन भी बचेंगे। किसानों के लिए यह निर्णय एक बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि अब उन्हें अपनी जमीन पर मौजूद पेड़ों के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। इससे उनकी बचत होगी और जमीन के दस्तावेजीकरण का काम भी सुचारू रूप से हो सकेगा।

इस नई नीति के तहत अब किसानों को अपनी जमीन पर मौजूद पेड़ों के कारण आर्थिक या प्रशासनिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। पहले के मुकाबले अब कागजी कार्रवाई में तेजी आएगी और रजिस्ट्री प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से पूरी होगी। यह कदम न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य के कृषि क्षेत्र को भी प्रोत्साहन देगा।

छत्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय किसानों के प्रति उसकी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पेड़ों के मूल्यांकन को रजिस्ट्री प्रक्रिया से हटाने का यह कदम न केवल किसानों को राहत प्रदान करेगा, बल्कि रजिस्ट्री प्रक्रिया को भी सरल बनाएगा। राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जनहित के फैसलों को प्राथमिकता देती है, भले ही इसके लिए राजस्व का नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े। किसानों के हित में लिया गया यह ऐतिहासिक फैसला निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के कृषि क्षेत्र को नई दिशा देगा और किसानों के जीवन को बेहतर बनाएगा।

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