Cst Council: थिएटर में पॉपकॉर्न पर GST दर में नहीं होगी कोई बढ़ोतरी

Cst Council: हाल ही में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में पॉपकॉर्न पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में कोई बढ़ोतरी करने का निर्णय नहीं लिया गया है। यह बैठक विभिन्न व्यापारियों, उद्योग विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों के लिए अहम थी, क्योंकि इसमें खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी के मसलों पर चर्चा की गई। खासकर पॉपकॉर्न के बारे में चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसमें नमक और मसालों का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी टैक्स श्रेणी को लेकर कुछ उलझनें पैदा हो रही थीं।

बैठक के दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष रूप से नमक और मसालों से लैस पॉपकॉर्न की कैटेगरी और इस पर लागू होने वाले जीएसटी को लेकर स्पष्टीकरण देने का अनुरोध किया था। पॉपकॉर्न के व्यापारियों और निर्माताओं के लिए यह मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि यदि जीएसटी दरों में बढ़ोतरी की जाती, तो इससे उनके कारोबार पर सीधा असर पड़ता। व्यापारियों का कहना था कि पॉपकॉर्न एक ऐसी वस्तु है जिसे आमतौर पर स्नैक के रूप में खाया जाता है, और इसमें मसाले और नमक डालने से इसकी टैक्स श्रेणी पर असर पड़ सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में जीएसटी काउंसिल ने स्पष्ट किया कि नमक और मसालों वाले पॉपकॉर्न की श्रेणी पर कोई नई टैक्स दर लागू नहीं की जाएगी। इससे पॉपकॉर्न के निर्माताओं और विक्रेताओं को राहत मिली है। पॉपकॉर्न को आमतौर पर ‘स्नैक’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, और इसे बाकी खाद्य वस्तुओं के समान टैक्स दरों के तहत रखा जाएगा। इसका मतलब यह है कि पॉपकॉर्न पर जो पहले से जीएसटी लगाया जा रहा था, वह अब भी वैसा ही रहेगा और इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।

उत्तर प्रदेश सरकार का यह अनुरोध इस कारण से किया गया था क्योंकि राज्य में पॉपकॉर्न का कारोबार काफी बड़ा है, और यहां के व्यापारियों को लगता था कि मसालों और नमक से लैस पॉपकॉर्न को अलग श्रेणी में डाला जा सकता है, जिससे उस पर अलग जीएसटी दर लागू होती। हालांकि, काउंसिल की बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि फिलहाल इस पर कोई बदलाव नहीं होगा।

काउंसिल ने इसके अलावा कई अन्य मामलों पर भी चर्चा की, जिनमें अन्य खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बदलाव, राज्यों के बीच टैक्स राजस्व का वितरण और जीएसटी के अंतर्गत आने वाली नई श्रेणियों पर निर्णय लिए गए। इस बैठक में यह भी तय किया गया कि जीएसटी प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सरल बनाने के लिए कई सुधार किए जाएंगे, ताकि व्यापारियों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

पॉपकॉर्न पर जीएसटी की स्थिति में कोई बदलाव न होने से इस उद्योग से जुड़े व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को राहत मिली है। विशेष रूप से छोटे व्यवसायों और स्थानीय निर्माताओं के लिए यह निर्णय एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे उनकी लागत में कोई अप्रत्याशित बढ़ोतरी नहीं होगी। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित होता है कि पॉपकॉर्न की कीमतों में कोई अप्रत्याशित वृद्धि नहीं होगी, जो उपभोक्ताओं के लिए सकारात्मक खबर है।

इस बैठक ने यह भी सिद्ध किया कि जीएसटी काउंसिल खाद्य वस्तुओं पर लागू टैक्स दरों में बदलाव को लेकर बेहद सतर्क है, और इसके निर्णयों का प्रभाव सीधे तौर पर उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों पर पड़ता है।

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