CG News: सर्व आदिवासी समाज की कटेकल्याण इकाई ने एक ज्ञापन में कटेकल्याण तहसीलदार से मांग की है कि गैर आदिवासी समाज से विवाहित महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिले। यह मांग इस संदर्भ में उठाई गई है कि इस वर्ग की महिलाओं को आरक्षण से वंचित रखा जा रहा है, जो उनके सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए जरूरी है। ज्ञापन सौंपने का उद्देश्य इस मुद्दे को प्रशासन के समक्ष लाकर, उनकी स्थिति में सुधार लाना है।
सोमवार को सर्व आदिवासी समाज की कटेकल्याण इकाई ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, गैर आदिवासी समाज की विवाहित महिलाओं को आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने से रोकने की मांग की। इस संदर्भ में, उन्होंने कटेकल्याण तहसीलदार को एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन आदिवासी समाज के हितों की रक्षा करने और आरक्षित सीटों पर चुनाव में गैर आदिवासी महिलाओं की उपस्थिति को रोकने के लिए किया गया था।
आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन: समाज के लिए एक बड़ा खतरा
सर्व आदिवासी समाज के कटेकल्याण इकाई के अध्यक्ष माड़का सोढ़ी ने ज्ञापन में कहा कि कुछ लोग अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षित कोटे का लाभ उठाने के लिए आदिवासी महिलाओं को बहला-फुसलाकर विवाह कर रहे हैं। इस प्रकार के विवाहों से आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने बताया कि इन शादियों का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना होता है, जिससे आदिवासी समाज को नुकसान हो रहा है।
फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश
समाज ने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महिलाओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और फर्जी जातियों से चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इस संदर्भ में एक ज्ञापन सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख पदाधिकारियों द्वारा तहसीलदार को सौंपा गया। ज्ञापन में सुखराम पोड़ियाम, लच्छु कुडा़मी, मासा पोड़ियाम, श. समडू मण्डावी, कटेकल्याण कोया समाज के अध्यक्ष छन्नू ताती समेत अन्य समाज के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे।
दंतेवाड़ा: गीदम जिला इकाई ने प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
हाल ही में, दंतेवाड़ा जिले के गीदम क्षेत्र में सर्व आदिवासी समाज ने सभी अनुविभागीय कार्यालयों में एक ज्ञापन सौंपा। इस पहल को समाज द्वारा अभिनव और महत्वपूर्ण कदम माना गया है। ज्ञापन में आगामी नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के संदर्भ में एक विशेष मांग उठाई गई। समाज ने यह मांग की कि यदि कोई आदिवासी महिला गैर-आदिवासी समाज से विवाह करती है, तो उसे आदिवासी आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने की अनुमति न दी जाए।