GRAND NEWS : कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने हाल ही में संसद में एक नया बैग लेकर पहुंची, जिस पर लिखा था, “बांग्लादेश के हिंदुओं और ईसाइयों के साथ खड़े हों।” यह बैग उन्होंने सोमवार को संसद में दिखाया, एक दिन पहले जब उन्होंने एक और बैग लेकर संसद में कदम रखा था, जिस पर “फिलिस्तीन” लिखा हुआ था। इस बैग को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रियंका गांधी पर जमकर हमला बोला और कहा कि उन्हें बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए।
प्रियंका गांधी का यह कदम भारतीय राजनीति में नए विवाद का कारण बन गया। कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रियंका गांधी का यह बयान कि वह “फिलिस्तीन” के समर्थन में थीं, बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। बीजेपी नेताओं ने प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह फिलिस्तीन के बारे में अपनी चिंता जाहिर कर रही हैं, तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर क्यों चुप हैं? बीजेपी नेताओं का कहना था कि प्रियंका गांधी को उन घटनाओं पर भी बोलना चाहिए जिनमें हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
प्रियंका गांधी ने इस पर प्रतिक्रिया दी और बीजेपी के आलोचनाओं का उत्तर पितृसत्ता के रूप में दिया। उन्होंने मीडिया से कहा, “अब मैं कौन से कपड़े पहनूंगी यह कौन तय करेगा? यह कौन तय करेगा? यह विशिष्ट पितृसत्ता है कि आप यह भी तय करते हैं कि महिलाएं क्या पहनेंगी। मैं इससे सहमत नहीं हूं। मैं जो चाहूंगी वही पहनूंगी।” उनका यह बयान इस बात पर जोर दे रहा था कि महिलाओं को स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे अपनी पसंद से पहनावे का चुनाव कर सकें, और किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वे तय करें कि महिलाएं क्या पहनेंगी या क्या नहीं पहनेंगी।
प्रियंका गांधी का यह बयान उस समय सामने आया जब भारतीय राजनीति में महिला अधिकारों को लेकर एक बड़ा मुद्दा बन चुका था। उनके द्वारा बैग के माध्यम से अपनी आवाज उठाने का तरीका इस बात का प्रतीक था कि वह अपनी राजनीतिक पहचान के साथ-साथ समाज में महिलाओं के अधिकारों के लिए भी खड़ी हैं। उनका कहना था कि यह पितृसत्तात्मक मानसिकता है जो महिलाओं को नियंत्रित करने की कोशिश करती है, और वह इसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगी।
संसद में प्रियंका गांधी का यह कदम कई मायनों में महत्वपूर्ण था। सबसे पहले, यह दिखाता है कि वह अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए किसी भी मंच का उपयोग करने के लिए तैयार हैं, चाहे वह संसद हो या सार्वजनिक स्थान। इसके अलावा, यह उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करता है। प्रियंका गांधी का मानना है कि हर व्यक्ति को अपने विचारों और संवेदनाओं को व्यक्त करने का अधिकार है, और वे इस अधिकार का पालन करते हुए अपनी राजनीतिक विचारधारा को खुले तौर पर व्यक्त करती हैं।
प्रियंका गांधी ने अपने बयान में पितृसत्ता के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया। यह उनके लिए एक तरीका था यह दिखाने का कि वह अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक विचारों के मामले में स्वतंत्र हैं। उनके विरोधियों के अनुसार, यह मुद्दा केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं था, बल्कि यह समाज में महिलाओं के अधिकारों को लेकर व्यापक बहस का हिस्सा बन चुका था। प्रियंका गांधी का यह कदम इस बात का प्रतीक था कि उन्हें यह अधिकार है कि वे जो चाहें वह करें, और इसके लिए उन्हें किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
इस पूरे घटनाक्रम में प्रियंका गांधी ने न केवल अपनी राजनीतिक छवि को प्रस्तुत किया, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए स्वतंत्रता और समानता की भी एक मिसाल पेश की। उनका यह कदम यह भी दर्शाता है कि वे किसी भी दबाव या आलोचना से डरने वाली नहीं हैं, और अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने के लिए तैयार हैं।