ISRO’s GSAT-N2 Mission: ISRO और SpaceX के सहयोग से भारत में इंटरनेट तकनीकी में आएगी नई क्रांति

ISRO’s GSAT-N2 Mission: ISRO के अत्याधुनिक हाई-थ्रूपुट संचार उपग्रह जीसैट-एन-2 को सोमवार आधी रात के बाद अमरीका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनेवेरल अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा। यह उपग्रह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है, और इसका उद्देश्य देश में संचार सेवाओं की गुणवत्ता और गति में सुधार लाना है। जीसैट-एन-2 उपग्रह अत्यधिक डेटा ट्रांसमिशन क्षमता प्रदान करेगा, जिससे दूरसंचार, ब्रॉडबैंड, और अन्य उच्च-गति संचार सेवाओं में सुधार होगा। इसके माध्यम से भारत के दूरदराज इलाकों में भी बेहतर इंटरनेट और संचार सेवाएं मिल सकेंगी। इस उपग्रह को लांच करने के बाद, यह भारतीय उपग्रह नेटवर्क का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा और राष्ट्रीय संचार व्यवस्था को मजबूत करेगा।

पूर्वोत्तर से लेकर लक्षद्वीप तक संपूर्ण भारतीय भू-भाग को तीव्र ब्रॉडबैंड सेवाओं से जोड़ने और उड़ान में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए भारत का अत्याधुनिक हाई-थ्रूपुट संचार उपग्रह जीसैट-एन-2 (जीसैट-20) सोमवार रात के बाद अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनेवेरल अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह प्रक्षेपण अमरीकी कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से किया जाएगा, और यह भारत का पहला मिशन होगा, जिसे अमेरिकी धरती और स्पेसएक्स के रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस उपग्रह के प्रक्षेपण से भारतीय विमान सेवाओं में उड़ान के दौरान इंटरनेट कनेक्टिविटी मजबूत होगी, जिससे यात्रियों को हवाई यात्रा के दौरान भी बेहतरीन इंटरनेट सेवा प्राप्त होगी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनसिल) का यह मांग आधारित दूसरा उपग्रह है। इसरो अधिकारियों के अनुसार, भारतीय समयानुसार 18 अक्टूबर रात 12:01 बजे मिशन का प्रक्षेपण किया जाएगा। यदि किसी कारणवश मिशन निर्धारित लॉन्च विंडो में प्रक्षिप्त नहीं हो सका, तो भारतीय समयानुसार बुधवार अपराह्न 3 बजे का विकल्प रखा गया है। फाल्कन-9 एक री-यूजेबल दो चरणों वाला प्रक्षेपणयान है, जो विश्व का पहला आर्बिटल क्लास री-यूजेबल लांच व्हीकल है।

जीसैट एन-2 उपग्रह
जीसैट एन-2 लगभग 4700 किलोग्राम वजनी केए-केए (का-का) बैंड उपग्रह है। इसके 32 यूजर बीम अंडमान-निकोबार द्वीप और लक्षद्वीप समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को कवर करेंगे। इनमें से 8 नैरो स्पॉट बीम पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जबकि 24 वाइड बीम शेष भारत के लिए समर्पित हैं। इन 32 बीमों को भारतीय भू-भाग में स्थित हब स्टेशनों से सपोर्ट मिलेगा। केए बैंड हाई-थू्रपुट संचार पे-लोड की क्षमता लगभग 48 जीबी प्रति सेकेंड है, जिससे देश के दूर-दराज के गांवों को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा। उपग्रह को 14 साल के मिशन पर भेजा जा रहा है। यह उपग्रह पूरे भारतीय क्षेत्र में ब्रॉडबैंड सेवाओं को बेहतर करेगा और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी (आइएफसी) में भी वृद्धि करेगा।

एन-सिल का दूसरा उपग्रह
एन-सिल का यह मांग आधारित दूसरा उपग्रह है। इससे पहले, एन-सिल ने जून 2022 में अपना पहला मांग आधारित उपग्रह जीसैट-24 लॉन्च किया था। अंतरिक्ष सुधारों के तहत एन-सिल अब उपग्रहों का स्वामित्व प्राप्त कर सकता है और उन्हें संचालित भी कर सकता है। फिलहाल, एन-सिल के 11 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में ऑपरेशनल हैं।

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