jammu- kashmir: जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार, 18 दिसंबर 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से अपील की कि वे पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में रेलवे लाइनों, सैटेलाइट टाउन और राजमार्गों के निर्माण पर रोक लगाएं। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस श्रीनगर में आयोजित की गई थी, जिसमें उन्होंने इन विकास कार्यों के कारण हो रहे पर्यावरणीय नुकसान पर चिंता व्यक्त की।
महबूबा मुफ्ती ने कहा, “हमें इस सरकार से बड़े-बड़े वादों को पूरा करने की उम्मीद नहीं है। लेकिन उमर अब्दुल्ला की सरकार को कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में हो रहे इन निर्माण कार्यों को रोका जाए।”
उन्होंने विशेष रूप से श्रीनगर में रिंग रोड बाईपास पर कृषि भूमि पर बनाए जा रहे सैटेलाइट टाउन, राजौरी से बारामुला के बीच वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सड़क और बागानों के बीच से गुजरने वाली रेलवे लाइन के विस्तार का उल्लेख किया। मुफ्ती ने कहा कि ये परियोजनाएं न केवल स्थानीय पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि कृषि और बागवानी जैसे परंपरागत उद्योगों को भी खतरे में डाल रही हैं, जो इस क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ माने जाते हैं।
महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा कि कश्मीर जैसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर क्षेत्र में इस प्रकार के निर्माण कार्यों का दीर्घकालिक प्रभाव बेहद विनाशकारी हो सकता है। उन्होंने सरकार को इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध करते हुए कहा कि विकास के नाम पर पर्यावरणीय संपदाओं का विनाश करना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या इन परियोजनाओं को शुरू करने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment) किया गया था।
“यह सरकार न केवल पर्यावरण के प्रति लापरवाह है, बल्कि इस क्षेत्र की जनता की आजीविका और पारिस्थितिक संतुलन के प्रति भी संवेदनशील नहीं है। बागवानी और कृषि कश्मीर की मुख्य आर्थिक गतिविधियां हैं, और इन्हें नुकसान पहुंचाने से यहां के लोगों का जीवन प्रभावित होगा।”
महबूबा मुफ्ती ने सरकार को वैकल्पिक समाधानों पर विचार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि नए सैटेलाइट टाउन या राजमार्गों के निर्माण के लिए ऐसी भूमि का चयन किया जाना चाहिए जो कृषि या पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण न हो। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इन परियोजनाओं को लागू करने से पहले विशेषज्ञों और स्थानीय समुदायों की राय ली जानी चाहिए।
“सरकार को चाहिए कि वह पर्यावरण को बचाने और विकास के बीच संतुलन बनाए। ऐसा नहीं हो सकता कि विकास के नाम पर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक संकटग्रस्त वातावरण सौंपें।”
महबूबा मुफ्ती ने यह भी बताया कि स्थानीय समुदाय इन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये उनके जीवन और आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को स्थानीय लोगों की भावनाओं और उनकी जरूरतों को समझते हुए इन परियोजनाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए।
महबूबा मुफ्ती की इस अपील ने कश्मीर में विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार को विकास के लिए योजनाएं बनाते समय पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
“हम एक संतुलित विकास मॉडल की वकालत करते हैं, जहां पर्यावरणीय संपदाओं को संरक्षित किया जाए और स्थानीय समुदायों की जरूरतों का ध्यान रखा जाए।” उनकी इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास से पहले गहन विचार और चर्चा की आवश्यकता है।
महबूबा मुफ्ती की इस मांग ने कश्मीर में पर्यावरणीय मुद्दों पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन चिंताओं का समाधान कैसे करती है।