Jammu-Kashmir: हाल ही में जम्मू कश्मीर के कटड़ा में रोपवे के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच एक अहम घटनाक्रम सामने आया। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कटड़ा के लिए यात्रा पर थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें जम्मू में स्थित बन टोल प्लाजा पर रोक लिया।
यह स्थिति एक नई राजनीतिक हलचल का कारण बनी है, जहां कांग्रेस नेताओं ने कटड़ा या उधमपुर तक जाने की अनुमति मांगी थी ताकि वे हड़ताल के कारण श्रद्धालुओं को हो रही समस्याओं का जायजा ले सकें। हालांकि, पुलिस ने उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी, जिससे यह मुद्दा और भी विवादित हो गया।
कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना था कि वे कटड़ा जा रहे थे ताकि वे वहां के श्रद्धालुओं की परेशानियों को देख सकें और हड़ताल से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से मांग कर सकें। कटड़ा में स्थित माता वैष्णो देवी के मंदिर के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं, और उनकी यात्रा के दौरान रोपवे के निर्माण को लेकर कई समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं। कांग्रेस नेताओं का मानना था कि इन समस्याओं को सही रूप से समझने और समाधान के लिए कार्यवाही करने की जरूरत है। वे यह भी चाहते थे कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान दे और श्रद्धालुओं को कोई भी परेशानी न हो।
कांग्रेस नेताओं का यह काफिला जम्मू से कटड़ा के लिए यात्रा कर रहा था, जिसमें प्रमुख रूप से पार्टी के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष रमन भल्ला, पूर्व मंत्री योगेश साहनी, वेद महाजन, जम्मू शहरी जिला अध्यक्ष मनमोहन सिंह, युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अनिरुद साहनी, अजय लखोत्रा, अतुल शर्मा और पवन शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे। ये नेता कटड़ा के विभिन्न स्थानों पर जाने और हड़ताल से प्रभावित श्रद्धालुओं से बातचीत करने के लिए निकल पड़े थे। उनका उद्देश्य केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि धार्मिक श्रद्धालुओं की समस्याओं को प्राथमिकता देना था।
जब ये नेता बन टोल प्लाजा पहुंचे, तो उन्हें पुलिस ने रोक लिया। पुलिस ने उन्हें यह बताया कि उनके पास आगे जाने की अनुमति नहीं है। कांग्रेस नेताओं ने पुलिस से कटड़ा या उधमपुर तक जाने का अनुरोध किया, लेकिन पुलिस ने किसी भी तरह की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल कांग्रेस पार्टी के नेताओं को बल्कि स्थानीय जनता को भी हैरान कर दिया, जो यह जानने के लिए उत्सुक थी कि आखिर पुलिस ने इस यात्रा को क्यों रोका।
कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस रोक को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर उन्हें अपने कर्तव्यों से वंचित रखने के लिए ऐसा कर रही है। पार्टी ने यह भी कहा कि पुलिस का यह कदम लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह दर्शाता है कि सरकार उनके कामों में बाधा डालने के लिए तैयार है। वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना था कि यह निर्णय सुरक्षा कारणों और प्रशासनिक कारणों से लिया गया था, ताकि यात्रा में किसी प्रकार की अनहोनी ना हो।
इस घटना ने राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है, खासकर जब से जम्मू कश्मीर में रोपवे को लेकर विवाद चल रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है और वह लगातार यह मांग करती रही है कि श्रद्धालुओं की समस्याओं का समाधान किया जाए।
अंततः यह कहना गलत नहीं होगा कि इस घटना ने केवल राजनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि धार्मिक मामलों में भी चर्चा का नया मोड़ दिया है। आने वाले दिनों में इस पर और अधिक बहस हो सकती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को किस दिशा में ले जाते हैं।