PM Awas Yojana: सरपंच और सचिव पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने मृतक लाभार्थी के परिवार के सदस्यों को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का लाभ दिलाने के बदले में घूस लिया है। आरोप के मुताबिक, दोनों ने घूस की मांग की और उसे स्वीकार किया, ताकि मृतक के परिजनों को इस सरकारी योजना का लाभ मिल सके, जो सामान्यत: पात्र लाभार्थियों को सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। इस मामले में भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया जा रहा है, जिससे आम जनता की विश्वासघात की भावना उत्पन्न हो सकती है।
यह मामला बकावंड ब्लॉक के ग्राम पंचायत राजनगर का है, जहाँ एक ग्रामीण को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत किया गया था। लेकिन, इस बीच लाभार्थी की मृत्यु हो गई। इसके बावजूद, पंचायत के सरपंच और सचिव ने उस मृतक के परिवार को प्रधानमंत्री आवास देने के बजाय, यह आवास पंच को दे दिया। इस घटना ने सवाल उठाए हैं कि क्या यह प्रशासनिक प्रक्रिया में अनियमितता या भ्रष्टाचार को दर्शाता है, क्योंकि लाभार्थी के परिवार को उनका अधिकार नहीं दिया गया।
यह मामला प्रशासनिक स्तर पर गंभीर सवालों को जन्म देता है और स्थानीय पंचायत प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी संदेह पैदा करता है।
मृतक की बहू, सरिता ने कलेक्टर कार्यालय में पहुंचकर लिखित शिकायत दी और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कार्रवाई करने की मांग की। सरिता ने बताया कि उनके ससुर, मगडूराम, को प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र मानते हुए उसका चयन किया गया था। लेकिन, दुर्भाग्यवश, उनके ससुर का अचानक निधन हो गया। सरिता ने इस मामले में कलेक्टर से निवेदन किया कि उनके ससुर की योजना में चयन के बावजूद, उनकी मृत्यु के कारण उनका आवास लाभ अधूरा रह गया है, और अब उन्हें उनके परिवार को यह लाभ दिलाने के लिए कार्रवाई की जाए।
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत छत्तीसगढ़ में एक विवाद उत्पन्न हुआ है, जिसमें सरपंच और सचिव पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एक परिवार को योजना का लाभ न मिलने के कारण गांव की एक महिला, दुलारी को आवास का आबंटन कर दिया गया, जबकि यह आवास स्व. मंगडूरम की बहू, सरिता को मिलना था।
सरिता ने आरोप लगाया है कि सरपंच मोहनलाल भारती और सचिव ने इस योजना का लाभ घूस लेकर दुलारी को दे दिया, जबकि वह स्वयं इसका वास्तविक हकदार थी। महिला ने यह भी बताया कि दुलारी के खाते में योजना की पहली किस्त जमा कर दी गई है, जबकि उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए था।
सरपंच मोहनलाल भारती इस मामले पर गोल-मोल जवाब दे रहे हैं, और मामले की जांच की आवश्यकता जताई जा रही है। यह घटना प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करती है।