Long term capital gains: पिछले हफ्ते पेश किए गए बजट में सरकार ने कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में कुछ अहम बदलाव किए, जिसका असर शेयर बाजार और रियल एस्टेट क्षेत्र पर पड़ा है। बजट में सरकार ने कई एसेट्स पर कैपिटल गेंस टैक्स की दरों को घटा दिया है, जिससे छोटे निवेशकों को कुछ राहत मिली है।
हालांकि, सबसे बड़ा बदलाव प्रॉपर्टी के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स से संबंधित था। सरकार ने प्रॉपर्टी के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के कैलकुलेशन में इंडेक्सेशन बेनेफिट को समाप्त कर दिया है, जिससे टैक्सपेयर्स को काफी निराशा हुई है।
इंडेक्सेशन बेनेफिट का मकसद यह था कि जब कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी बेचता था, तो उसे अपनी निवेश की मूल राशि को महंगाई के हिसाब से बढ़ाकर उसे कैपिटल गेंस टैक्स से बचने का लाभ मिलता था। यह प्रावधान निवेशकों के लिए एक सुरक्षा कवच जैसा था, क्योंकि महंगाई के असर से उनकी टैक्स देनदारी कम हो जाती थी। लेकिन अब सरकार ने इसे खत्म कर दिया है, जिसके कारण प्रॉपर्टी के मालिकों को अपनी पुरानी संपत्ति के लिए अधिक टैक्स देना होगा, क्योंकि अब महंगाई के असर को ध्यान में नहीं रखा जाएगा।
इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर उन निवेशकों पर पड़ेगा जिन्होंने प्रॉपर्टी में लंबी अवधि के लिए निवेश किया था। उन्हें अब अपनी संपत्ति के कैपिटल गेंस की गणना करते समय महंगाई के असर का कोई फायदा नहीं मिलेगा, जिसके चलते उनकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है। यह बदलाव रियल एस्टेट बाजार में असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि अब निवेशक प्रॉपर्टी बेचने से पहले कई बार सोचेंगे, क्योंकि उन्हें अपनी संपत्ति की बिक्री पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा।
सरकार का यह कहना है कि इस बदलाव से भविष्य में निवेशकों को लाभ होगा, क्योंकि यह टैक्स की पारदर्शिता बढ़ाएगा और समृद्धि को बढ़ावा देगा। हालांकि, इस कदम को लेकर बाजार में मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ निवेशकों का मानना है कि इससे टैक्स सिस्टम ज्यादा स्पष्ट होगा, जबकि अन्य इसे उनकी टैक्स देनदारी बढ़ाने वाला कदम मानते हैं। इस बदलाव के असर का मूल्यांकन आगे चलकर ही किया जा सकेगा, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि रियल एस्टेट बाजार में असमंजस की स्थिति बनी रहेगी।