MP NEWS: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रात के समय भोपाल के दो रैन बसेरों का दौरा किया, जो उनके सामाजिक दायित्व और जनता के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह दौरा रात 10 बजे के आस-पास हुआ, और मुख्यमंत्री ने इस दौरान विशेष रूप से उन लोगों से संवाद किया, जो गरीब, निराश्रित या राहगीर के रूप में जीवन बिता रहे थे। उन्होंने न सिर्फ उनका हाल-चाल पूछा, बल्कि उन सभी को कंबल भी वितरित किए, ताकि वे सर्दी से बच सकें।
मुख्यमंत्री का पहला ठिकाना था यादगार ए शाहजहांनी पार्क स्थित रैन बसेरा, जहां उन्होंने रुककर विभिन्न लोगों से बातचीत की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कुरवाई के करोड़ीलाल प्रजापति, हशीब खान, संजु कुशवाहा, रवि शर्मा, और पथरिया दमोह के दिव्यांग प्रताप मालवीय से मुलाकात की। इन व्यक्तियों के साथ उन्होंने आत्मीय बातचीत की, और उनके जीवन की कठिनाइयों को समझने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री ने इन लोगों से सिर्फ औपचारिक बातें ही नहीं की, बल्कि उनकी व्यक्तिगत समस्याओं और रैन बसेरे की सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली। रैन बसेरों की व्यवस्थाओं की समीक्षा करने से पहले, उन्होंने वहां के वातावरण और शरणार्थियों की जरूरतों का गहन अवलोकन किया। यह उनकी जिम्मेदारी का अहसास था कि वे यह सुनिश्चित करें कि रैन बसेरे में ठहरने वालों को हर तरह की आवश्यकताएं पूरी मिलें।
मुख्यमंत्री की इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि वे सिर्फ सरकार की ओर से कागजी कार्यवाही करने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वास्तविक धरातल पर जाकर जरूरतमंदों की सहायता करना उनकी प्राथमिकता है। रैन बसेरों में यह व्यवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर सर्दी के मौसम में, जब राहगीरों और गरीबों को किसी प्रकार की ठंडी से बचने की जरूरत होती है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया कि कंबल वितरण की प्रक्रिया सुचारु रूप से संपन्न हो, ताकि किसी को भी ठंड में परेशानी न हो।
मुख्यमंत्री के इस दौरे के बाद, रैन बसेरों की स्थिति और उनकी व्यवस्थाओं को लेकर सुधार की संभावना उत्पन्न हुई। उनके द्वारा की गई समीक्षा से यह भी संकेत मिलता है कि अब इन सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा सकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार के दौरे में और ज्यादा लोग लाभान्वित हो सकें।
इस प्रकार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह दौरा न केवल एक औपचारिक निरीक्षण था, बल्कि यह उनके संवेदनशील और जमीनी स्तर पर काम करने की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है। यह पहल अन्य नेताओं के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है, कि कैसे जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।