Raipur News: कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न किया, जिसके परिणामस्वरूप कई देशों में लॉकडाउन और अन्य सख्त उपाय किए गए। भारत में भी इस संकट से निपटने के लिए कई विशेष नियमों और अनुमति प्रदान की गई, जिनमें से एक था घर-घर दवाइयां पहुंचाने की अनुमति। यह अनुमति खासतौर पर कोविड-19 के दौरान चिकित्सा आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए दी गई थी।
हालांकि, अब इसे अवैध ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा दुरुपयोग किए जाने की खबरें आ रही हैं, जो जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही हैं। ऐसे में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने केंद्र सरकार से इस अनुमति को तुरंत वापस लेने की अपील की है।
एआईओसीडी, जो पूरे भारत में 12.40 लाख केमिस्ट और वितरकों का प्रतिनिधित्व करता है, ने तीसरी बार स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर कोविड-19 महामारी के दौरान जारी अधिसूचना जीएसआर 220 (ई) को रद्द करने की मांग की है। यह अधिसूचना मार्च 2020 में प्रकाशित की गई थी, जिसमें दवाइयों के निर्माण, बिक्री और वितरण को विनियमित करने के लिए कुछ शर्तों के साथ आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके तहत विशेष परिस्थितियों में घर-घर दवाइयों की आपूर्ति की अनुमति दी गई थी और नियम 65 के तहत दवाओं की बिक्री के लिए प्रिस्क्रिप्शन पर मुहर लगाने की आवश्यकता को अस्थायी रूप से हटा लिया गया था।
एआईओसीडी के अध्यक्ष जे एस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल ने इस अधिसूचना के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इसका मुख्य उद्देश्य केवल आपातकालीन स्थितियों में स्थानीय दवा विक्रेताओं के माध्यम से दवाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करना था, लेकिन अब इसका दुरुपयोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा किया जा रहा है, जैसे स्विगी और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, जो आवश्यक नियामक सुरक्षा उपायों का पालन किए बिना दवाइयां घर तक पहुंचा रहे हैं।
ये अवैध प्लेटफॉर्म बिना किसी वैध प्रिस्क्रिप्शन के दवाइयों की बिक्री कर रहे हैं, जिससे स्वचिकित्सा, नशीली दवाओं का दुरुपयोग, और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इस प्रकार, ऐसे प्लेटफॉर्म्स केवल अपने लाभ के लिए मरीजों की सुरक्षा की अनदेखी कर रहे हैं।
एआईओसीडी का मानना है कि इस अधिसूचना का मूल उद्देश्य वैध लाइसेंस प्राप्त नजदीकी दवा विक्रेताओं के माध्यम से दवाओं की डिलीवरी करना था, न कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा नियमों की अनदेखी करना। यह स्थिति आम जनता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अब जब देश में कोविड-19 के आपातकालीन चरण का अंत हो चुका है और सामान्य स्थिति लौट आई है, तो यह अधिसूचना अब प्रासंगिक नहीं रही है और इसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए।
एआईओसीडी ने निम्नलिखित मांगें की हैं:
- दवाइयों की बिक्री और वितरण के लिए प्रिस्क्रिप्शन और अन्य सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
- देश में दवाओं की अवैध ऑनलाइन बिक्री को तत्काल प्रभाव से रोका जाए, ताकि दवाओं की अनियमित बिक्री पर नियंत्रण पाया जा सके।
- जन स्वास्थ्य और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सरकार का कदम अत्यंत आवश्यक है।
एआईओसीडी के अध्यक्ष उमेश सीरोठिया ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस संबंध में सकारात्मक कदम नहीं उठाती है, तो एआईओसीडी अपने सभी 12.40 लाख सदस्यों के साथ आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। ऐसे में यह मामला न केवल दवाइयों की सुरक्षित आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देश के समग्र स्वास्थ्य प्रणाली और जनता की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है।