Weather Update: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में इस वर्ष पहली बार नवंबर महीने में शीतलहर का अनुभव हुआ है। मौसम में अचानक ठंडक आ गई है, जिससे तापमान में गिरावट आई है। राज्य के कई जिलों में इस बदलाव को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है, जिसका मतलब है कि मौसम में बदलाव के कारण ठंड बढ़ सकती है। लोगों को ठंड से बचाव के उपायों के लिए सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
दुर्ग जिले में साल 2018 के बाद से नवंबर महीने में अब तक कड़ाके की ठंड नहीं पड़ी है। 2018 में 20 नवंबर को न्यूनतम तापमान 11.1 डिग्री सेल्सियस के साथ सबसे नीचे गिरा था।
उसके बाद से जिले में न्यूनतम तापमान 12.5 से 15.6 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहा है। इन छह सालों में नवंबर महीने में तापमान में उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। पिछले 24 घंटों में रायपुर का न्यूनतम तापमान 16.2 डिग्री और अंबिकापुर का तापमान 8.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।
मौसम का ऐसा ही ग्राफ इस साल भी बनता हुआ दिखाई दे रहा है। मंगलवार को जिले के अधिकतम तापमान में 1.1 डिग्री की वृद्धि देखी गई, जबकि रविवार और सोमवार को दिन का तापमान सामान्य स्तर पर स्थिर था। इसी तरह, रात का न्यूनतम तापमान 13.2 डिग्री से बढ़कर मंगलवार को 14.6 डिग्री पर पहुंच गया, जिससे औसत तापमान में 1 डिग्री की वृद्धि हो गई। इस मामूली परिवर्तन ने मंगलवार को ठंडक में कमी कर दी।
सोमवार को दुर्ग शहर और आउटर दोनों ही जगहों पर अच्छी ठंडक महसूस हो रही थी, लेकिन मंगलवार को वैसा प्रभाव नहीं देखा गया। हालांकि, मौसम विभाग ने अगले दो से तीन दिनों में जिले के न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री की गिरावट की संभावना जताई है।
मौसम विशेषज्ञ एचपी चंद्रा ने बताया कि उत्तर-पूर्व से आने वाली ठंडी हवाओं का प्रवाह लगातार जारी है, जिससे नवंबर के आखिरी तक तापमान 11 डिग्री तक पहुंचने की संभावना बन रही है। इसके अलावा, उत्तर-पूर्वी ठंडी हवाओं की दिशा में बदलाव होने पर जिले में ठंडक में वृद्धि देखने को मिल सकती है, जिसके लिए थोड़े और समय का इंतजार करना पड़ सकता है।
मौसम विभाग ने अगले चौबीस घंटे के लिए बलरामपुर, कोरिया, मनेन्द्रगढ़ – चिरमिरी, भरतपुर, सूरजपुर और सरगुजा में शीतलहर के हालात को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। पिछले चौबीस घंटों में इन क्षेत्रों में रात का तापमान काफी गिर चुका है और अगले कुछ घंटों तक यह गिरावट जारी रहने की संभावना है।
मध्य क्षेत्र में ठंड का असर सामान्य रूप से बना हुआ है, और इसमें अभी ज्यादा बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। मौसम विशेषज्ञ एच. पी. चंद्रा का कहना है कि सरगुजा में नवंबर के महीने में ठंड बढ़ती है, लेकिन इस बार शीतलहर की स्थिति दस साल में पहली बार देखने को मिली है। सीमावर्ती इलाकों में रात की ठंड ने लोगों की स्थिति को गंभीर बना दिया है।