Year End: 2024 में शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव, फिर भी 9 वर्षों में लगातार रिटर्न

Year End:  साल 2023 भारतीय शेयर बाजार के लिए एक मिश्रित अनुभव लेकर आया। सेंसेक्स और निफ्टी ने इस साल अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन दिसंबर में बाजार में गिरावट देखी गई। आइए, हम इस विषय पर विस्तार से बात करें।

2023 में सेंसेक्स ने 11,399.52 अंक या 18.73 प्रतिशत की बढ़त हासिल की थी। यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत संकेतक के रूप में सामने आई। सेंसेक्स की यह वृद्धि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की बढ़ती उम्मीदों और विभिन्न क्षेत्रों में व्यापारिक विकास के कारण हुई थी। भारतीय कंपनियों की लगातार शानदार रिपोर्ट और मजबूत आर्थिक गतिविधियों ने निवेशकों को आकर्षित किया। इसके अलावा, सरकारी नीतियों, जैसे कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं, ने भी बाजार के साथ विश्वास बढ़ाया।

दूसरी ओर, निफ्टी ने 3,626.1 अंक या 20 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। निफ्टी में इस प्रकार की वृद्धि भारतीय शेयर बाजार की ताकत और स्थिरता को दर्शाती है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से प्रमुख सेक्टरों में सुधार, जैसे कि IT, बैंकिंग, और ऊर्जा, के कारण हुई थी। निफ्टी ने घरेलू और विदेशी निवेशकों का विश्वास जीता, और यह निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में भी हल्की स्थिरता देखी गई, जिसने भारतीय बाजार को समर्थन दिया।

हालांकि, साल के अंतिम महीनों में भारतीय शेयर बाजार ने मंदी का सामना किया। विशेष रूप से, दिसंबर 2023 में सेंसेक्स में 1,103.72 अंक या 1.38 प्रतिशत की गिरावट आई। यह गिरावट विदेशी निवेशकों के बाजार से बाहर निकलने और वैल्यूएशन में वृद्धि के कारण हुई। विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर के बाद भारतीय शेयर बाजार से अपने निवेश को निकाला, जिसके कारण बाजार में दबाव बढ़ा। वैश्विक स्तर पर चल रही अनिश्चितताओं, जैसे कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका, ने भी निवेशकों के मनोबल को प्रभावित किया।

सेंसेक्स और निफ्टी के मंदी की ओर बढ़ने का एक कारण यह भी था कि बाजार में वैल्यूएशन में वृद्धि हो रही थी। जब शेयरों की कीमतें बहुत अधिक बढ़ जाती हैं, तो निवेशक सतर्क हो जाते हैं और मुनाफा कमाने के लिए उन्हें बेचना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही, कुछ निवेशकों को यह चिंता थी कि भारतीय बाजार अब अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच चुका है, और अब इसमें और वृद्धि की संभावना कम हो सकती है। इससे भारतीय शेयर बाजार में हल्की गिरावट आई।

भारत में विदेशी निवेशकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से बाहर निकलते हैं, तो इसका सीधा असर बाजार पर पड़ता है। विदेशी निवेशकों ने पिछले कुछ महीनों में भारतीय शेयरों को बेचना शुरू किया, जिससे बाजार में अस्थिरता आई। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा दरों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक व्यापारिक वातावरण की अनिश्चितताएं भी भारतीय शेयर बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुईं।

इसलिए, 2023 में भारतीय शेयर बाजार ने सकारात्मक प्रदर्शन किया, लेकिन दिसंबर के अंत तक बाजार में गिरावट आई। यह गिरावट बाजार के भीतर के वैल्यूएशन दबाव, विदेशी निवेशकों की निकासी, और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण थी। अगले साल भारतीय शेयर बाजार में क्या होगा, यह समय ही बताएगा, लेकिन 2023 के अनुभव से यह स्पष्ट है कि बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, और निवेशकों को सतर्क रहते हुए अपनी रणनीतियों को अनुकूलित करना चाहिए।

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